*ग़ज़ल*
*आने भी दो देख लेंगें, फसले-बहार को.*
*क्योंकर कहो यूं, आप भी बेक़रार हो..!*
*आया जो यहाँ हमसे वो लेके ही गया,*
*रुसवाई ही मिली थी, इस खाक़सार को..*
*ज़ख्मों को साथ रखता हूँ ये वफादार हैं-*
*क्यों साथ रखूँ अपने, किसी रसूखदार को-*
*रिश्तों को सिक्कों से जब कोई तौलने लगे* –
*न जाना उसके आंगन भाई हो या यार हो.*
*“माँ..! तेरे नाम के सिवा विरासत में कुछ नहीं*
*जबसे कहा है मुझको मुकुल, कर्ज़दार हो..*
*गिरीश बिल्लोरे मुकुल*
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