गीत प्यार का लिखते लिखते
शब्दों से ही प्यार हो गया ,
अभी तुम्हारा रूप निहारा
और हृदय बेज़ार हो गया .!!
************
सुनो रूप सी जब मन शावक
आये जो तुमरे आंगन तक..!
झूठ मूठ में प्यार जताना
प्रीतसुरों के अनुनादन तक
सुनने वाले कहेंगे वरना-
गीत तेरा बेकार हो गया .
गीत प्यार का लिखते लिखते
शब्दों से ही प्यार हो गया ,
************
आंचल को समझालो अपने
अल्हड़ बचपन बीत गया है.
इधर मेरे बैरागी हिय में
प्रेम का बिरवा पीक गया है.
यही गीत का भाव-अर्थ सब
तुमसे मुझको प्यार हो गया .
गीत प्यार का लिखते लिखते
शब्दों से ही प्यार हो गया ,
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शब्दों से ही प्यार हो गया ,
अभी तुम्हारा रूप निहारा
और हृदय बेज़ार हो गया .!!
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सुनो रूप सी जब मन शावक
आये जो तुमरे आंगन तक..!
झूठ मूठ में प्यार जताना
प्रीतसुरों के अनुनादन तक
सुनने वाले कहेंगे वरना-
गीत तेरा बेकार हो गया .
गीत प्यार का लिखते लिखते
शब्दों से ही प्यार हो गया ,
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आंचल को समझालो अपने
अल्हड़ बचपन बीत गया है.
इधर मेरे बैरागी हिय में
प्रेम का बिरवा पीक गया है.
यही गीत का भाव-अर्थ सब
तुमसे मुझको प्यार हो गया .
गीत प्यार का लिखते लिखते
शब्दों से ही प्यार हो गया ,
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बहुत सुन्दर गीत....
जवाब देंहटाएंsundar geet... yun hi likhte rahein...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंइस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (17-06-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
आभारी हूं शास्त्री जी शेखर सुमन.. अर्चना जी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना..
जवाब देंहटाएं:-)