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शुक्रवार, 29 सितंबर 2023

गुजरात का गरबा वैश्विक हो गया

 



जबलपुर का गरबा फोटो अरविंद यादव जबलपुर
जबलपुर का गरबा फोटो अरविंद यादव जबलपुर

गुजरात के व्यापारियों एवं प्रवासियों  ने सम्पूर्ण भारत ही नहीं बल्कि  विश्व को अपनी संस्कृति से परिचित कराया इतना ही नहीं  उसे  सर्व प्रिय भी बना दिया.

गरबा गुजरात से निकल कर भारत के सुदूर प्रान्तों तथा विश्व के उन देशों तक जा पहुंचा है जहाँ भी गुजराती परिवार जा बसे हैं , एक  महिला मित्र प्रीती गुजरात सूरत से हैं उनको मैंने कभी न तो देखा किंतु मेरे कला रुझान को परख कर पहले आरकुट फिर फेसबुक पर  मित्र बन गयीं हैं ,जो मुझसे अक्सर गुजरात के  सूरत, गांधीनगर, भरूच, आदि के बारे में अच्छी जानकारियाँ देतीं है . मेरे आज विशेष आग्रह पर मुझे सूरत में आज हुए गरबे का फोटो सहजता से भेज दिए .  

 लेखिका  गायत्री शर्मा बतातीं हैं कि  "गरबों की शान पारंपरिक पोशाकों से  चार-गुनी हो जाती है. इनमें महिलाओं के लिए चणिया-चोली और पुरुषों के लिए  केडि़या" गरबा आयोजनों में देखी जा सकती  है।
आवारा बंजारा ब्लॉग  पर प्रकाशित  पोस्ट गरबा का जलवा  में लेखक ने स्पष्ट किया है :-" गुजरात नौवीं शताब्दी में चार भागों में बंटा हुआ था, सौराष्ट्र, कच्छ, आनर्ता (उत्तरी गुजरात) और लाट ( दक्षिणी गुजरात)। इन सभी हिस्सों के अलग अलग लोकनृत्य लोक नृत्यों  गरबा, लास्या, रासलीला, डाँडिया रास, दीपक नृत्य, पणिहारी, टिप्पनी और झकोलिया की मौजूदगी गुजरात के सांस्कृतिक वैभव को मज़बूती प्रदान करती है ।

अब सवाल यह उठता है कि करीब करीब मिलती जुलती शैली के बावजूद  सिर्फ़ गरबा या डांडिया की ही नेशनल या इंटरनेशनल छवि क्यों बनी। शायद इसके पीछे इसका – गरबे के आकर्षक परिधान एवं नवरात्री पूजा-पर्व है।"

एक दूसरा  सच यह भी है कि- व्यवसायिता का तत्व गरबा को प्रसिद्द कर रहा है. फिल्मों में गरबे को , एवं चणिया-चोली केडि़या के आकर्षक उत्सवी परिधान की मार्केटिंग रणनीति ने गरबे  को वैश्विक बना दिया है.  "

दूसरी ओर अंधाधुंध व्यवसायिकता से नाराज  ब्लॉग लेखक संजीत भाई की पोस्ट में गरबे की व्यावसायिकता से दूर रखने की वकालत की गई है. ,इस पर भाई संजय पटेल की  टिप्पणी उल्लेखनीय है कि  "संजीत भाई;गरबा अपनी गरिमा और लोक-संवेदना खो चुका है । मैने तक़रीबन बीस बरस तक मेरे शहर के दो प्रीमियम आयोजनो में बतौर एंकर शिरक़त की . अब दिल खट्टा हो गया है. सारा तामझाम कमर्शियल दायरों में है. पैसे का बोलबाला है इस पूरे खेल में और धंधे साधे जा रहे हैं.''

संजय जी की टिप्पणी एक हद तक सही किंतु मैं थोडा सा अलग  सोच रहा हूँ कि व्यवसायिकता में बुराई क्या अगर गुजराती परिधान लोकप्रिय हो रहें है , और यदि सोचा जाए तो गरबा ही नहीं गिद्दा,भांगडा,बिहू,लावनी,सभी को सम्पूर्ण भारत ने सामूहिक रूप से स्वीकारा है केवल गरबा ही नहीं ये अलग बात है कि गरबा व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के सहारे सबसे आगे हो गया ।
इन दिनों अखबार  समूहों  ने भी  गरबे को गुजरात से बाहर अन्य प्रान्तों तक ले जाने की सफल-कोशिश की हैं । 

इंदौर का गरबा दल , मस्कट में 2008 छा गया था. अब कनाडा, बेल्जियम, यूएसए, सहित विश्व के कई देशों में लोकप्रिय हुआ  तो यह भारत के लिए गर्व की बात है ।

ये अलग बात है कि गरबे के लिए महिला साथी भी किराए उपलब्ध होने जैसे समाचार आने लगे हैं ।
संजय पटेल जी की शिकायत जायज है. वे गुजराती हैं पर गरबे के बदले  स्वरुप से नाराज हैं क्योंकि - "चौराहों पर लगे प्लास्टिक के बेतहाशा फ़्लैक्स, गर्ल फ़्रैण्डस को चणिया-चोली की ख़रीददारी करवाते नौजवान,  देर रात को गरबे के बाद (तक़रीबन एक से दो बजे के बीच) मोटरसायकलों की आवाज़ोंके साथ जुगलबंदी करते चिल्लाते नौजवान, घर में माँ-बाप से गरबे में जाने की ज़िद करती जवान बेटियाँ और के नाम पर लाखों रूपयों की चंदा वसूली, इवेंट मैनेजमेंट के चोचले रोज़ अख़बारों में छपती गरबा कर रही लड़के-लड़कियों की रंगीन तस्वीरें, देर रात गरबे से लौटी नौजवान पीढी न कॉलेज जा रही,न दफ़्तर, उस पर  डीजे की  कानफ़ोडू आवाज़ें जिनमें से  गुजराती लोकगीतों की मधुरता गुम है. मुम्बईया  फ़िल्मी स्टाइल का संगीत,  बेसुरा संगीत संजय पटेल जी की नाराज़गी की मूल वज़ह है.

आयोजनों के नाम पर बेतहाशा भीड़...शरीफ़ आदमी की दुर्दशारिहायशी इलाक़ों के मजमें धूल,ध्वनि और प्रकाश का प्रदूषण बीमारों, शिशुओं,नव-प्रसूताओं को तकलीफ़ देता है. उस पर नेतागिरी के जलवे ।

मानों जनसमर्थन जुटाने  के लिये एक राह  खुल गई हो

नवरात्रों में देवी की आराधना ...वह भक्ति जिसके लिये गरबा पर्व गुजरात से चल कर पूरे देश में अपनी पहचान बना रहा है गायब है ।

देवी माँ उदास हैं कि उसके बच्चों को ये क्या हो गया है....गुम हो रही है गरिमा,मर्यादा,अपनापन,लोक-संगीत।माँ तुम ही कुछ करो तो करो...बाक़ी हम सब तो बेबस हैं !  

 

न्यूयार्क के ब्लॉगर भाई चंद्रेश जी ने इसे अपने ब्लॉग Chandresh's IACAW Blog (The Original Chandresh), गरबा शीर्षक से पोष्ट छापी है जो देखने लायक है कि न्यूयार्क के भारत वंशी गरबा के लिए कितने उत्साही हैं

सोमवार, 11 सितंबर 2023

Connection कनैक्शन Dr Salil Samadhiya

कुछ लोगों के साथ आप सहज अनुभव करते हैं. उनका होना आप में कुछ खलल नहीं डालता, उल्टे उनसे मिलकर आप कुछ खाली ही हो जाते हैं.
वहीं कुछ लोग ऐसे होते हैं कि उनका अगर फोन भी आ जाए, तो नाम देखकर उठाने का जी नहीं करता.
उनसे दो मिनट बात करना भी बड़ा भारी गुजरता है.
मुझे सहज, अनौपचारिक और लपड़ धपड़ बात करने वाले ही भाते हैं.
वे लोग, जो जैसे हैं..वैसे हैं.
किसी पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं डालना चाहते, ऎसे लोगों के साथ मैं, पानी में पानी की तरह मिल जाता हूं.
वहीं ख़ुदनुमाई और खुदपरस्ती से भरे लोग मुझमें विकर्षण पैदा करते हैं.
वे लोग भी, जो अतिरिक्त गुरु-गंभीर हैं और औपचारिक बातें करते हैं मुझे पसंद नहीं आते. 
किसी लोकाचार वश मैं उनसे मिल भले लूं, पर उनसे मेरा कनेक्शन नहीं बनता.

इसी तरह कुछ स्थान भी होते हैं.
मसलन, मैं किसी कन्वेंशन, सेमिनार, समारोह जैसे स्थान पर कंफर्टेबल अनुभव नहीं करता.
वे सभी जगहें जहां अतिरिक्त दिखावे और औपचारिकता ओढ़े रहने की दरकार हो, मुझ में अरुचि पैदा करती हैं.
सच कहूं तो मुझे वही जगहें भाती हैं जहां मैं, अभी जैसा हूं उन्हीं कपड़ों में जा सकूं, और जैसा मित्रों या घर के लोगों से बात करता हूं उसी बे-तकल्लुफ़ी से बतिया सकूं.
जब छोटी वय का था तब जरूर कभी-कभार बाहरी आडंबर से प्रभावित हुआ होऊँ, 
मगर अब ऐसा हो गया है कि पैकेजिंग का मुझ पर कोई असर नहीं पड़ता.
वह चाहे इंटेलेक्चुअल का स्वांग धरा कोई खुरदुरा नास्तिक हो कि निहलिस्ट,
रहस्य और तसव्वुफ बघारने वाली कवियित्री हो कि,
मिठास की पुड़िया बना, जटाजूट, चोगाधारी आध्यात्मिक साधु,..मेरे नासापुट नकलीपन की गंध बहुत जल्दी भाँप जाते हैं.
इसके उलट, मौलिक व्यक्ति से मेरा कनेक्शन तुरंत बन जाता है. क्योंकि वह जैसा है उससे कुछ इतर दिखाने की कोशिश नहीं कर रहा होता.
उसमें सच्चाई होती है और सच से बड़ा कोई कनेक्शन नहीं.

लेकिन इधर अनेक वर्षों से देख रहा हूं कि मेरा किसी से कोई गहरा कनेक्शन नहीं बन पा रहा.
लोग बहुत आडंबरी हो गए हैं. 
सूचना और ज्ञान की इतनी बंबारडिंग हो रखी है कि जीवन से मौलिकता नष्ट हो गई है.
व्यक्ति उधार ज्ञान में ही पूरा जीवन जी जाता है और अपनी आत्मा के मूल स्वर से उसकी कोई सम-स्वरता नहीं बन पाती.
फिर जिसका स्वयं से ही नाता न बन सका उसका किसी और से क्या नाता बन सकेगा  !!

एक प्रश्न मेरे मन में हमेशा उठता था कि ऐसा क्यों होता है कि, जिस व्यक्ति से बहुत सारे लोग प्रभावित होते हैं उससे मैं प्रभावित नहीं हो पाता.
बाद में पाया कि मैं मौलिकता से ही प्रभावित होता हूं जो अब इधर ढूंढे नहीं मिलती .
कभी किसी अमृता प्रीतम ने अपनी तरह से जिया और लिखा, वह उनकी मौलिकता थी. मगर बाद की कवियित्रियां उनकी छाया बनकर रह गई. 
किसी मुक्तिबोध ने अलग ढंग से लिखा था क्योंकि जीवन को देखने, अनुभव करने और बयान करने की उसकी अपनी दृष्टि और वाणी थी. 
मगर फिर नकलचीं आए और साहित्य जगत में,छोटे-छोटे मुक्तिबोध,सब ओर फैल गए .
किसी ओशो ने अपनी तरह से जिया और कहा मगर फिर उनके मिमिक्री आर्टिस्ट जगह जगह उग आए.
सब ओर दोहराव ही दोहराव है, मौलिकता का ताज़ा झोंका कहीं से नहीं आता.
दोहराव से ऊब उठती है.
एक बार पकी तरकारी को चौथी या पांचवी बार नहीं खाया जा सकता. 

फिर मनुष्य से कनेक्शन तो छोड़िये, इधर मैं देखता हूं कि,
टूरिज्म पर निकले लोग भी, अपना अधिक वक्त लग्जरी कार, होटल, रेस्टोरेंट या मॉल में गुजारते हैं, न कि खुले आकाश, पहाड़ या समंदर के तट पर.
गोया प्रकृति से उनका कोई कनेक्शन ही नहीं बनता.
शायद यही कारण है कि हर व्यक्ति भीतर से बहुत अकेलापन और विषाद अनुभव करता है.

जल में जल की धारा मिलने से जल का परिमाण बढ़ जाता है.
अलकनंदा और भागीरथी मिलकर गंगा बन जाती हैं.
तब ही वह विशाल जल राशि,यात्रा पथ पर आगे बढ़ पाती है.
हर नदी में कितनी ही सहायक नदियों का मिलन होता है.
मगर मनुष्य, पानी में पानी की तरह नहीं मिलता.
उसने अपने चारों तरफ इतनी सीमाएं बना ली हैं कि, दूसरे मनुष्य की उसके भीतर कोई पहुंच ही नहीं है.
यही कारण है कि उसके जीवन में रस और प्राण की बढ़ोतरी न हो पा रही.
वह उतना वॉल्यूम और वेग नहीं जुटा पा रहा कि चेतना के किसी महासागर की ओर उसकी यात्रा संपन्न हो सके.

##सलिल##

सोमवार, 7 अगस्त 2023

Points to consider for a prosperous nation


[  ] To make any nation effective and ideal, it is necessary to be a fighter like Napoleon Bonaparte.
[  ] There are millions of good things in democracy but polarization is one of the most negative factor which makes democracy Unfair.
[  ] By the prosperity of any country, you can identify its soft power.It is the moral responsibility of every citizen to work on the concept of nation first.
[  ] Most of the countries in Asia and Africa have been colonies of one or the other European country. These countries have to revive their cultural continuity.
[  ] One should not consider oneself great and superior by comparing with weak nations, but comparison should be made with strong nations.
[  ] Pakistan is such a nation where the rulers are always ahead in weakening the mental level of the subjects.
[  ] The limit of freedom of expression should be limited to the honor of the nation. If your expression destroys the honor of the nation then you are a criminal.
[  ] The meaning of India is not only a nation but it is related to the cultural and spiritual consciousness of that nation.
[  ] Keeping someone calm does not prove that he is a coward.Only the brave can keep the peace forever,

गुरुवार, 3 अगस्त 2023

अधिकार संपन्न कलस जनजाति की महिलाएं...!

पाकिस्तान में महिला अधिकारों को लेकर हम सब केवल इतना जानते हैं कि वहां महिलाओं को कोई खास अधिकार प्राप्त नहीं है। परंतु हिंदूकुश पर्वत माला में निवास कर रही कलस जनजाति जिसकी जनसंख्या 2018 के मुताबिक केवल 4000 थी जो अब बढ़कर लगभग 6000 हो चुकी है। कलस जन जाति में महिलाओं की स्थिति पाकिस्तान के अन्य स्थानों की अपेक्षा बेहतर है। यह जनजाति अफगानिस्तान पाकिस्तान सीमा पर कैलास या कलस  वैली के नाम से प्रसिद्ध है। पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा राज्य के चितराल जिले बुमबरेत,रूमबुर,बिरर, नामक स्थानों में 
कलस जनजाति निवास करती है।
अफगानिस्तान में नूरिस्तानी जनजाति भी इसी जनजाति की एक शाखा है।
कलस जनजाति महिला प्रधान जनजाति है।  
मृत्यु पर उत्साह एवम खर्चीला अंतिम संस्कार :- 
यहां किसी कलसी को उसकी मृत्यु पर  समारोह पूर्वक बिदा करते हैं।  
  महिलाओं एवम पुरुषों की मृत्यु पर 3 दिन शव को एक भवन में रख लोग लोक गीत एवम नृत्य करते हैं, जबकि महिलाओं के मरने पर केवल गीत गाए जाते हैं, दोनों ही स्थिति में मृतक/मृतिका की  तारीफ की जाती है।
इस जनजाति में मृत्यु के समय मृत्यु भोज के रूप में बकरियों की बलि देकर देवता (ईश्वर) को अर्पित करते हैं।  मृत्यु भोज में हजारों लोगों का शामिल होना आम बात है।
  जनजाति के लोगों का मानना है कि वे मृतकों को मेहमानों की तरह   खुशनुमा माहौल के साथ विदा करने पर विश्वास रखते हैं।
लोगों का मानना है कि यह जनजाति सिकंदर के साथ आए उन सैनिकों के वंशज हैं जो थकान एवम बीमारियों के कारण  वापस यूनान नहीं गए तथा हिंदुकुश में रुक गए थे। कुछ विद्वानों ने  ईरान से अखंड भारत में आई जातियों की श्रेणी में रखा है।   कुछ लोग यह मानते हैं कि डीएनए के हिसाब से ये लोग हिंदुस्तान से पलायन करके पहाड़ियों पर निवास करने लगे हैं।
तीज-त्यौहार-  इस जनजाति के तीन त्यौहार होते हैं एक त्योहार शीत ऋतु प्रारंभ होने के पहले मनाया जाता है जिसमें अपने आराध्य से यह आव्हान किया जाता है कि यह शीत ऋतु उन्हें सुख प्रदान करें वे बीमार न पड़ें।
प्राचीन काल में शरद ऋतु को सबसे कठिन माना जाता था। भारत में "जीवेत शततम शरद:" कह कर दीर्घायु होने की परम्परा आज भी जारी है। जो कलसियों के भारतीय होने का संकेत है।  
 यह त्यौहार जोशी त्यौहार कहलाता है। दूसरा त्यौहार शीत ऋतु के उपरांत मनाया जाता है जिसे उचाव कहते हैं, यह शीत ऋतु के समाप्त होने के उपरांत मनाया जाता है और ईश्वर को इस त्यौहार के माध्यम से उत्सव मना कर धन्यवाद दिया जाता है और यह कहा जाता है कि आपने इस शीत ऋतु में हमें सुरक्षा दी हम आपके आभारी हैं। एक अन्य त्यौहार जिसे कैमोस कहते हैं यह 14 दिनों तक मनाया जाता है। यह त्यौहार युवाओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। युवा लड़कियां अपना मनपसंद पति चुनती है और  उसके घर चली जाती है। उसके कुछ दिनों के बाद वर पक्ष की ओर से वधु के घर उपहार भेज कर विवाह की पुष्टि की जाती है।
  यह परंपरा हमारे देश के छत्तीसगढ़ की जनजातियों में प्रचलित घोटूल व्यवस्था की तरह ही है।
जन्म के समय प्रसूता को गांव के बाहर बने एक भवन में 14 से 15 दिन तक रखा जाता है। वहां पुरुषों का प्रवेश पूरी तरह वर्जित है। रजस्वला लड़कियों एवं महिलाओं  को भी 3 से 4 दिन तक इसी भवन में रहना होता है।
  कलस जनजाति के परिवार ताजा फल सूखे मेवे तथा अनाज में गेहूं आधारित व्यंजन उपयोग में लाते हैं।
कलस जनजाति के परिवारों में औसत उम्र पाकिस्तान की आबादी की औसत उम्र से अधिक होती है।
इस संबंध में अपनी बात कहते हुए जनजाति की एक लड़की ने बताया कि हम प्रकृति से प्राप्त भोजन ग्रहण करते हैं तथा हमेशा प्रसन्न रहने की कोशिश करते हैं साथ ही हम किसी का अपमान नहीं करते इस कारण ही हम सुंदर और लंबी उम्र पाते हैं।
  कलस जनजाति अपने लिए कपड़े स्वयं बनाते हैं यहां महिलाओं की पोशाक बहुत सुंदर तरीके से डिजाइन की जाती है। कलस जनजाति की महिलाएं चितराल जिले के चितराल नगर बाजार से कपड़े  खरीद अपनी पोशाक तैयार करती हैं।
पाकिस्तान के लोग इन्हें अपवित्र मानते हैं क्योंकि यहां के लोग शराब का सेवन करते हैं तथा महिलाओं को अधिक अधिकार प्राप्त हुए हैं तथा ये एकेश्वरवाद को मानते हैं, पैग़म्बर वाद को नहीं।  यह पाकिस्तानी संस्कृति के विरुद्ध है।कलस जनजाति के बारे में यह भी कहा जाता है कि इस जनजाति में महिलाएं स्वच्छंद यौनाचार में संलिप्त है। इस तरह की अफवाह एवं असमानता को देखते हुए जनजाति के लोग पाकिस्तान से आने वाले सैलानियों से नाराज हैं।
पाकिस्तान में जनजाति विकास के लिए कोई सरकारी कार्यक्रम के बारे में अब तक कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई।
कलस जनजाति का धर्म- इनका धर्म हिंद-ईरानी धर्मों से मिलता जुलता है। कुछ लोगों की मान्यता है कि इस जनजाति के लोग सिकंदर के सैनिकों के वंशज हैं तथा इनका धर्म यूनानी है। नवीनतम रिसर्च से ज्ञात होता है कि यह प्राचीन भारतीय ईरानी परिवारों से संबंध हैं।
पाकिस्तान जैसे राष्ट्र में इनकी संख्या कम होना स्वभाविक है परंतु संस्कृति बची हुई है यह चकित कर देने वाला तथ्य है।
(डिस्क्लेमर:-यह आर्टिकल पब्लिक डोमेन पर उपलब्ध जानकारीयों पर आधारित है, )

शुक्रवार, 17 मार्च 2023

My heart is beating, keeps on repeating I am waiting for you

 



(My heart is beating, keeps on repeating
I am waiting for you)

My love encloses, a plot of roses
And when shall be then, our next meeting
'Cos love you know
That time is fleeting, time is fleeting, time is fleeting

Oh, when I look at you
The blue of heaven seems to be deeper blue
And I can say that
God Himself, seems to be looking through (hoo-hoo)
Zu-zu-zu... zu-ru-zu, (that's what it sounds like)

I'll never part from you
And if it is so, when are we meeting
'Cos love, you know
That time is fleeting, time is fleeting, time is fleeting

Spring is the season
That rolls the reason of lovers who are truly true
Young birds are mating
While I am waiting for you (hoo-hoo)

Darling you haunt me
Say do you want me?
And if it so, when are we meeting
'Cos love you know
That time is fleeting, time is fleeting, time is fleeting

(My heart is beating, keeps on repeating
I am waiting for you)

My love encloses, a plot of roses
And when shall be then, our next meeting
'Cos love you know







शनिवार, 11 मार्च 2023

मुकुल के फागुनी दोहे


गंजों की होली भई,
 बहुतई भयो धमाल।
उचकत गंजे यूँ लगे, 
अंडे लेत उबाल ।।
सारे इक से दिखते, 
होली पर्व कमाल।
कौन करोड़ीलाल है,
कहां छकौड़ी लाल।।
विजया को ऐसो नशा,
सबरे लबरा मौन।
घरवाली से पूछते, 
हम तुम्हारे कौन ?
रंग जमा जब भंग का, 
होने लगा बवाल।
रंग सियासी भूलकर, 
मलने लगे गुलाल।।
मंद पवन मादक बदन,
प्रियतम भाव विभोर।
पायल-ध्वनि मोहकलगे,
बाक़ी  सब कुछ शोर
नयनन भाए प्रीत रंग, 
प्रीत पवन हर ओर।
टेसू बोते वेदना, 
विरहन पीर अछोर।। 
प्रिय बिन बैरन-सी लगे पायल की झंकार।
हाथ निवाला ले खड़ा 
ओंठ करे इनकार॥ 
देह जगाए कामना, 
हाथ सजाते फूल।
दरपन तब बोले सुनो, 
भई प्रणय अनुकूल  ॥
मादक माधव माह यो, मिलन बिरह समझाय ।
प्रिय से दूर तनिक रहो, प्रीत दुगुन हुई जाय ॥
तापस का प्रिय राम है, 
ज्यों बनिकों को दाम।
प्रेम-रीति के दास हम, 
मुख वामा को नाम ।।
गिरीश बिल्लौरे मुकुल

शनिवार, 25 फ़रवरी 2023

तुम चुप क्यों हो कारण क्या है ?

 

तुम चुप क्यों हो कारण क्या है ?
गुमसुम क्यों हो  कारण क्या है ?

जलते देख रहे हो तुम भी, प्रश्न व्यवस्था के परवत पर ।

क्यों कर तापस वेश बना के, जा बैठै बरगद या छत  पर ॥  
हां मंथन का अवसर है ये  स्थिर क्यों हो कारण क्या है ?

अस्ताचल ने भोर प्रसूती, उदयाचल से उभरी शाम ।
निशा-आचरी संस्कृति में, नित उदघोष वयंरक्षाम ॥
रावण युग से ये युग आगे रक्ष पितामह रावण क्या है ?

एक दिवंगत सा चिंतन ले, चेहरों पे ले बेबस भाव ।

व्यवसायिक नकली मुस्कानें , मानस पे है गहन दबाव ॥

समझौतों के तानेबाने क्यों बुनते हो कारण क्या है ?

भीड़ तुम्हारा धरम बताओ-क्या है, क्या गिरगिट जैसा है ।

किस किताब से निकला है ये- धर्म तुम्हारा किस जैसा है ॥

हिंसा बो  विद्वेष उगाते, फ़िरते हो क्यों, कारण क्या है ?

बीता बरस एक युद्ध में,  कोने-कोने जलता देश ।

शान्ति कपोत उड़ाने को,जगह नहीं गगन में शेष ॥

लिखो कलम के वीरो जागो, सोये क्यों हो, कारण क्या है ?

गुजरात का गरबा वैश्विक हो गया

  जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर गुजरात   के व्यापारियो...