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गुरुवार, 4 अक्तूबर 2012

हवा का झोंका है या तुम्हारे बदन की खुसबू ! ये पत्तियों की है सरसराहट के तुमने चुपके से कुछ कहा है !

साभार : http://daraya95.deviantart.com/art/Rekha-185921387
मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं !
के तुम होती तो कैसा होता, तुम ये कहती, तुम वो कहती
तुम इस बात पे हैरां होती, तुम उस बात पे कितनी हंसती !
तुम होती तो ऐसा होता, तुम होती तो वैसा होता !
मैं और मेरी तन्हाई अक्सर ये बातें करते हैं!

ये रात है, या तुम्हारी जुल्फें खुली हुई हैं !
है चांदनी या तुम्हारी नजरों से मेरी रातें धूलि हुई हैं !
ये चाँद है या तुम्हारा कंगन
सितारें है या तुम्हारा आँचल
हवा का झोंका है या तुम्हारे बदन की खुसबू !
ये पत्तियों की है सरसराहट के तुमने चुपके से कुछ कहा है !
ये सोचता हूँ मैं कब से गुमसुम
के जब की मुझको भी यह खबर है
के तुम नहीं हो, कहीं नहीं हो !
मगर ये दिल है के कह रहा है
के तुम यहीं हो , यहीं कहीं हो !

2 टिप्‍पणियां:

  1. मेरे पसंदीदा गीतों में से एक गीत है यह...समय मिले आपको तो कभी आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है http://aapki-pasand.blogspot.co.uk/

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