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गुरुवार, 26 दिसंबर 2019

इंतज़ार

इंतज़ार
गूगल से साभार
दरख्तों को
पंछियों का
पंछियों को शाम का
शाम को मेरा
मुझे बस
तुम्हारा
इंतज़ार होता है...!!
तब तुम चौखट पर
सर टिकाए नुक्कड़ तक
देख लेती हो यकबयक
फिर उदास सी
पीछे वाली परछी में
सुलगती अधबुझी आंच को
समझा आती हो...!!
तब तक आँगन वाले
पेड़ पर
कोटर में तोते का बच्चा
तोती से चोंच लड़ा
चुग्गा चुन ही लेता है
कागा काँव काँव कर
सेट हो जाता है
मेरे आने से पहले
तुम कितनी देर
ताकती होगी नुक्कड़ तक
आते ही बस एक सवाल
आज देर हो गई
जबकि जानती हो
मेरे आने का यही वक्त है
पर हर इंतज़ार
कितना लंबा होता है
ये समझाने की कोशिश
वर्षों से जारी है..

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