पोर पोर पीर बोई पलक पलक धार ने

पोर पोर पीर बोई पलक पलक धार ने बिरह अगन झुलसाए, प्रीत के ब्यौपार में ############## पाखी के जोड़े को संग साथ देख जरूं, प्रीत पाती लिख तुमसे, बेसुध हो बात करूं ! बिरहा में जीवन, ज्यों बाटियां अंगार में… ! बिरह अगन झुलसाए, प्रीत के ब्यौपार में !! ############## मद भी मैं मदिरा भी, अमृत मैं मान भी, प्रिय बिन आधी मैं ही,प्रिय की पहचान भी..! बो मत प्रिय नागफ़नी, तरुतट कचनार में..!! बिरह अगन झुलसाए, प्रीत के ब्यौपार में !! ############## आखर तो आखर हैं,आखर में भाव भर केवल अब प्रेम कर , मोल कर न भाव कर प्रेम कहां मिलता है..? ऊंचे बाज़ार में..? बिरह अगन झुलसाए, प्रीत के ब्यौपार में !! ##############