जब इश्क़ है तो हुस्न की परवाह मत करो

इक मासूम से चेहरे पे मुस्कान ज़िंदगी बच्चे के लिये बलून की दूकान ज़िंदगी . उसने दिल की बात खुल के कभी न की हमने कही जो अपनी, थी हैरान ज़िंदगी. इज़हार-ए-इश्क करना ज़रूरी है मेरी जां- कब तक रखोगी अपनी सुनसान ज़िंदगी . अब आईने के सामने सजना संवरना छोड़ अब और कितने लाओगी तूफ़ान ज़िंदगी ..? जब इश्क़ है तो हुस्न की परवाह मत करो हाफ़िज़ बनेगें हम तेरे ऐ .. मेहमान ज़िंदगी .. जब से मिली हूं मिलने के रस्ते तलाशती तुम मिले तो मिलती है मुस्कान ज़िंदगी .. खुद खाक में मिल जाओ या फ़ाक़ा कशी करो मुश्किल से मिला करती है पहचान - ज़िंदगी !! चाहत की तला तुम में , डूबेगा सफ़ीना उट्ठो करो ग़ैरों पे कु़रबान ज़िंदगी !!