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शुक्रवार, 7 दिसंबर 2012

मैं जो इश्क़ वाली

साभार : श्री अरविंद मिश्रा जी के ब्लाग सेक्वचिदन्यतोSपि...
मैं जो इश्क़ वाली निगाह हूं तू जो हुस्न वाली कि़ताब है
जिसे हर निगाह न सह सकी  तू वो आफ़ताबी शबाब है..!

मुझे ग़ौर से जो निहार ले, मेरा सारा जिस्म संवार दे -
न तो धूल आंखों में रहे, मेरे दिल की गर्दें उतार दे ...!!
मेरे प्यार पे  तू यक़ीन कर- हटा ये पर्दे हिज़ाब के !!

  .......................................तू तो आफ़ताबी शबाब है..!

मेरा इश्क़ बुल्ले शा का ,  तेरा  हुस्न  रब दी राह का
यूं मुझे न तड़पा मेरी जां, आ बोल मेरा गुनाह क्या ?
मेरे इश्क़ का मतलब समझ,नहीं  हर्फ़ ये  हैं कि़ताब के !!

  .......................................तू तो आफ़ताबी शबाब है..!








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