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मंगलवार, 31 जुलाई 2012

लव मैरिज या अरेंज मैरिज ..पर.. बहस गै़रज़रूरी लगती है

              शादी को लेकर बरसों से सुलगता आ रहा है ये सवाल कि -"शादी प्रेम करके की जाए या शादी के बाद प्रेम हो ?" 
 इस सवाल का ज़वाब स्वामी शुद्धानंद नाथ के एक सूत्र से हल कर पाया जिसमें यह कहा कि -"प्रेम ही संसार की नींव है" यह सूत्र  आध्यात्मिक भाव धारा का सूत्र है. जो ये बात उजागर करता है कि  - प्रेम के बिना संसार का अस्तित्व न था न है.. और न ही रहेगा . यदि प्रेम न रहा तो आप जीवन की कल्पना कैसे करेंगें. 
          प्रेम के रासायनिक विज्ञान से तो मैं परिचित नहीं न ही उसकी बायोलाजिकल वज़ह को मैं जानता हूं.. बस इतना अवश्य है कि मेरी रगों में एक एहसास दौड़ता है जिसे मैं प्रेम कहता हूं. शायद आप भी इस एहसास से वाकिफ़ हैं होंगे ही मानव हैं तो होना अवश्यम्भावी है.जहां तक जीवन साथी के चुनाव का मामला है उसमें कोई खाप पंचायत जैसी फ़ोर्स हस्तक्षेप करे  खारिज करने योग्य है. इस बात का सदैव ध्यान हो कि -"प्रेमी जोड़े के खिलाफ़ कोई हिंसक वातावरण न बने." यानी साफ़ तौर पर विवाह के पूर्व पारस्परिक प्रेम नाज़ायज कतई नहीं. अगर विपरीत लिंगी से प्रेम हो  गया तो विवाह में कोई हर्ज़ नहीं माना जाये .परन्तु यौन सम्बंध की अनुमति विवाह के बाद ही अनुमति योग्य है. कुल मिलाकर दैहिक वर्जनाओं के  खिलाफ़ न हों.. ! ठीक उसी तरह यदि विवाह के बाद केवल एक निष्ठ प्रेम के परिणाम स्वरूप उभरी यौन आकांक्षा को ही मान्यता मिलती रहे यही सांस्कृतिक सत्य है. 
आप सोच रहें होंगे लव मेरिज या अरेंज मेरिज विषय की खूंटी पर टंगा आलेख उपदेश होता जा रहा है.. ! हो सकता है पर मेरे मत से मेरिज यानी विवाह के आगे कोई विशेषण  कैसे लगाया जा सकता है. प्रेम विवाह का एक मूल तत्व होता है जो विवाह संस्था को पुष्ट करता है. यानी कि विवाह के पूर्व प्रीत या सामाजिक पारिवारिक व्यवस्था के ज़रिये विवाह यानि अरेंज मेरिज तब तक गलत नहीं जब तक उसमें पारस्परिक विद्रोही भाव का प्रवेश न हो. 
   केवल सेक्स के लिये विवाह करना दौनो विवाहों में हो सकता यदि ऐसा है तो लव मेरिज और अरेंज मेरिज दौनों में स्थायित्व का अभाव देखेंगे. ऐसे विवाह विवाह नहीं हो सकते . ऐसी स्थिति सर्वदा गलत ही है. साफ़ तौर पर स्वीकारना होगा - सफ़ल वैवाहिक जीवन के लिये प्रीत की रसीली मीठी मीठी भावनाएं न नज़र आएं तो न तो प्रेम विवाह और न ही अरेंज विवाह करना करवाना ग़लत ही होगा.. 
         सुधि पाठको, लव  मैरिज  या अरेंज मैरिज पर बहस की ज़रूरत अब नहीं है. बस सही पार्टनर की तलाश पर बात हो जो  लव  मैरिज  में भी मिल सकता है  अरेंज मैरिज में भी. ! 

1 टिप्पणी:

  1. बात तो आपकी सही है। लव मैरिज मे भी सभी केवल आकर्षन वश ही भावनाओं को प्रेम कहने लगते हैं। अगर्5 प्रेम का अर्थ पता हो तभी प्रेम विवाह होना चाहिये।नही तो तीसरे दिन तलाक नही होते।

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