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बुधवार, 6 जून 2012

धीमे धीमें गुनगुनाने वाली अचानक तेज़ सुरों से

धीमे धीमें गुनगुनाने वाली
अचानक तेज़ सुरों से
पुकारने लगी हो..
बेवज़ह दोबारा
आंगन बुहारने लगी हो..!
क्यों न मानूं कि तुमने
स्वीकार लिया
मेरा आमंत्रण !!
सच है न..?
मेरे हर सवाल पर इंकार
हां ही तो है न
कल से तुम
गुनगुना रही हो
बोले रे पपीहरा... !!

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