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मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

गुलाब दिवस पर : प्रिय तुम गुलाब हो








मौन फ़िर भी पूर्णत: व्यक्त
मदालस गंध से संपृक्त....!!
तुम्हैं पाकर अक्सर मन कहता है
तुम पूजा के योग्य हो..!!
और फ़िर लगाता हूं
पूजा के लिये जुगत
ताम्र-पात्र में गंगा सा पावन जल
चंदन अक्षत रोली गंध-सुगंध
सच ये सब तुम्हारे ही तो मीत हैं..
तुम आराधना के सहभागी
तुम  पावन  और  अनुरागी
लोग कहतें हैं तुम "शबाब" हो
मेरे लिये तुम पूजा की थाल का गुलाब हो ..!!

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति………गुलाब दिवस की शुभकामनायें।

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  2. मौन फ़िर भी पूर्णत: व्यक्त

    बेहतरीन शाब्दिक चयन....सुंदर अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  3. तुम आराधना की सहभागी
    तुम पावन और अनुरागी
    लोग कहतें हैं तुम "शबाब" हो
    मेरे लिये
    गुलाब हो ..!!

    अद्भुत अभिव्यक्ति......

    जवाब देंहटाएं
  4. वाह लाजवाब प्रस्तुति मुकुल जी ...
    गुलाब का शबाब भी तो काँटों से निखरा रहता है ...

    जवाब देंहटाएं

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