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रविवार, 31 अक्तूबर 2010

मेरी प्रेम कुटी में आना


                                                                                 

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छवि साभार:शब्दों का सफ़र से
प्रिय जब  प्रेम कुटी में आना 
***************
मन ने संय़म साध लिया है
तुमको भी तो बांच लिया है 
अश्रु निवालों के साथी थे 
आज नमक ने साथ लिया है
हरियाई है पालक मेंथी-
राह दिखे तो  ले ही आना 
            प्रिय जब  प्रेम कुटी में आना 
***************
तुम संग जीवन की वो यादें
रोज रुलातीं थीं मृदु   बातें
नीरस था सखियन का संग भी
अब दिन उजला जगमग रातें
अब आओ तो रुक ही जाना
मत कुछ लाना बस तुम आना
            प्रिय जब  प्रेम कुटी में आना 
***************
देह नहीं अब मैं प्यासी हूं
सदा सुहागन अभिलासी हूं
जस-अपजस सब भूल बिसर के
अब तो मैं अंतर्वासी हूं
                                                                           छोड़ो ये बातें गहरीं हैं
                                                                       मुश्किल है सबको समझाना
                                                                                        प्रिय जब  प्रेम कुटी में आना 
                                                                            ***************
गिरीश बिल्लोरे मुकुल
जबलपुर

24 टिप्‍पणियां:

  1. प्रेम रस में डूबा हुआ माधुर्य से परिपूर्ण बहुत ही सुन्दर गीत जहाँ नायिका की अधीरता हर शब्द में मुखरित हो रही है ! अति उत्तम ! इतनी प्यारी रचना ले लिये बधाई एवं आभार !

    जवाब देंहटाएं
  2. अब आओ तो रुक ही जाना
    मत कुछ लाना बस तुम आना…
    सुन्दर आह्वान स्वर. लाजवाब गीत

    जवाब देंहटाएं
  3. प्रेम में आंसू लगता है उसी तरह जरूरी हैं जैसे भवन निर्माण में सीमेंट!

    जवाब देंहटाएं
  4. सुंदर भाव -
    बधाई एवं शुभकामनाएं .

    जवाब देंहटाएं
  5. गिरीश जी ,शायद पहली बार आई हूं यहां लेकिन आना सार्थक हो गया
    बहुत ख़ूब!

    अब आओ तो रुक ही जाना
    मत कुछ लाना बस तुम आना…
    प्रिय जब प्रेम कुटी में आना

    क्या बात है!
    इन पंक्तियों में कितनी ही भावनाओं का संगम है और प्रत्येक को महसूस किया जा सकता है
    बहुत सुंदर !
    बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  6. आप सभी का हार्दिक स्वागत एवम आभार
    _________________________________
    एक नज़र इधर मेरी ताज़ा-पोस्ट पर
    दर्शन बावेजा
    ताज़ा पोस्ट विरहणी का प्रेम गीत
    ______________________________

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  7. अश्रु निवालों के साथी थे
    आज नमक ने साथ लिया है

    बहुत खूबसूरती से आपने अश्कों की बात कह दी है ..भावपूर्ण रचना ..

    जवाब देंहटाएं
  8. गिरीश जी कौन हैं ये .... किसको पुकारा जा रहा है ......?
    खैर जो भी है आपके पुकारने लायक है ...इसलिए बधाईयाँ जी बधाईयाँ....!!

    जवाब देंहटाएं
  9. हरकीरत जी
    प्रणाम
    कल रात मन में आया कि देख लूं एक विरहणी जिसको प्रिय के आने की सूचना मिली उसे कितना उछाह हुआ बस उस पल को एक नारी बन के जिया एक क्षण के लिये और लिख दिया नन्हा सा गीत
    दीदी सच्ची कविता यही तो है
    _________________________________
    एक नज़र : ताज़ा-पोस्ट पर
    दर्शन बावेजा
    ताज़ा पोस्ट विरहणी का प्रेम गीत
    ______________________________

    जवाब देंहटाएं
  10. गिरीश जी आपने तो मन मोह लिया..क्या खूब कविता लिखी है..प्यार ही प्यार ..और कुछ नहीं..

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  11. ये बात...बेहतरीन प्रेमभावयुक्त!!

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  12. छोड़ो ये बातें गहरीं हैं
    मुश्किल है सबको समझाना
    प्रिय जब प्रेम कुटी में आना
    --

    लाजवाब प्रस्तुति!

    जवाब देंहटाएं
  13. हां, सचमुच बहुत मुश्किल है सबको समझाना. सुन्दर गीत.

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  14. प्रेम मे डुबी कलम से लिखी आप की यह सुंदर रचना बहुत अच्छी लगी, धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  15. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 02-11-2010 मंगलवार को ली गयी है ...
    कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया

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  16. bahut sunder prem bhav liye hai rachna girish ji ... deri se aane ke liye maafi chahti hoon ...

    जवाब देंहटाएं
  17. देह नहीं अब मैं प्यासी हूं
    सदा सुहागन अभिलासी हूं
    जस-अपजस सब भूल बिसर के
    अब तो मैं अंतर्वासी हूं

    छोड़ो ये बातें गहरीं हैं
    मुश्किल है सबको समझाना
    प्रिय जब प्रेम कुटी में आना

    वाह वाह ! ये पंक्तियाँ तो दिल मे उतर गयीं………॥गज़ब की भावाव्यक्ति।

    जवाब देंहटाएं
  18. छोड़ो ये बातें गहरीं हैं


    yahi satya hai.

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  19. बहुत भाव पूर्ण रचना |बहुत बहुत बधाई |आशा

    जवाब देंहटाएं
  20. खूबसूरत अहसासों को पिरोती हुई एक सुंदर भावप्रवण रचना. आभार.
    सादर
    डोरोथी.

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  21. प्रेम अनवरत यात्रा है जीवन की
    जो प्रथम श्वास से प्रारम्भ हो जाती है..

    बहुत सुंदर.....आभार....गिरीश जी

    गीता

    जवाब देंहटाएं

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