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छवि साभार:शब्दों का सफ़र से |
प्रिय जब प्रेम कुटी में आना
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मन ने संय़म साध लिया है
तुमको भी तो बांच लिया है
अश्रु निवालों के साथी थे
आज नमक ने साथ लिया है
हरियाई है पालक मेंथी-
राह दिखे तो ले ही आना
प्रिय जब प्रेम कुटी में आना
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तुम संग जीवन की वो यादें
रोज रुलातीं थीं मृदु बातें
नीरस था सखियन का संग भी
अब दिन उजला जगमग रातें
अब आओ तो रुक ही जाना
मत कुछ लाना बस तुम आना…
प्रिय जब प्रेम कुटी में आना
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देह नहीं अब मैं प्यासी हूं
सदा सुहागन अभिलासी हूं
जस-अपजस सब भूल बिसर के
अब तो मैं अंतर्वासी हूं
छोड़ो ये बातें गहरीं हैंमुश्किल है सबको समझानाप्रिय जब प्रेम कुटी में आना***************
गिरीश बिल्लोरे मुकुल
जबलपुर
प्रेम रस में डूबा हुआ माधुर्य से परिपूर्ण बहुत ही सुन्दर गीत जहाँ नायिका की अधीरता हर शब्द में मुखरित हो रही है ! अति उत्तम ! इतनी प्यारी रचना ले लिये बधाई एवं आभार !
जवाब देंहटाएंअब आओ तो रुक ही जाना
जवाब देंहटाएंमत कुछ लाना बस तुम आना…
सुन्दर आह्वान स्वर. लाजवाब गीत
प्रेम में आंसू लगता है उसी तरह जरूरी हैं जैसे भवन निर्माण में सीमेंट!
जवाब देंहटाएंसुंदर भाव -
जवाब देंहटाएंबधाई एवं शुभकामनाएं .
sundar bhaavnatmak rachna!
जवाब देंहटाएंregards,
गिरीश जी ,शायद पहली बार आई हूं यहां लेकिन आना सार्थक हो गया
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब!
अब आओ तो रुक ही जाना
मत कुछ लाना बस तुम आना…
प्रिय जब प्रेम कुटी में आना
क्या बात है!
इन पंक्तियों में कितनी ही भावनाओं का संगम है और प्रत्येक को महसूस किया जा सकता है
बहुत सुंदर !
बधाई!
आप सभी का हार्दिक स्वागत एवम आभार
जवाब देंहटाएं_________________________________
एक नज़र इधर मेरी ताज़ा-पोस्ट पर
• दर्शन बावेजा
• ताज़ा पोस्ट विरहणी का प्रेम गीत
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अश्रु निवालों के साथी थे
जवाब देंहटाएंआज नमक ने साथ लिया है
बहुत खूबसूरती से आपने अश्कों की बात कह दी है ..भावपूर्ण रचना ..
गिरीश जी कौन हैं ये .... किसको पुकारा जा रहा है ......?
जवाब देंहटाएंखैर जो भी है आपके पुकारने लायक है ...इसलिए बधाईयाँ जी बधाईयाँ....!!
हरकीरत जी
जवाब देंहटाएंप्रणाम
कल रात मन में आया कि देख लूं एक विरहणी जिसको प्रिय के आने की सूचना मिली उसे कितना उछाह हुआ बस उस पल को एक नारी बन के जिया एक क्षण के लिये और लिख दिया नन्हा सा गीत
दीदी सच्ची कविता यही तो है
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एक नज़र : ताज़ा-पोस्ट पर
• दर्शन बावेजा
• ताज़ा पोस्ट विरहणी का प्रेम गीत
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गिरीश जी आपने तो मन मोह लिया..क्या खूब कविता लिखी है..प्यार ही प्यार ..और कुछ नहीं..
जवाब देंहटाएंये बात...बेहतरीन प्रेमभावयुक्त!!
जवाब देंहटाएंछोड़ो ये बातें गहरीं हैं
जवाब देंहटाएंमुश्किल है सबको समझाना
प्रिय जब प्रेम कुटी में आना
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लाजवाब प्रस्तुति!
हां, सचमुच बहुत मुश्किल है सबको समझाना. सुन्दर गीत.
जवाब देंहटाएंप्रेम मे डुबी कलम से लिखी आप की यह सुंदर रचना बहुत अच्छी लगी, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा इसे पढना।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 02-11-2010 मंगलवार को ली गयी है ...
जवाब देंहटाएंकृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया
bahut sunder prem bhav liye hai rachna girish ji ... deri se aane ke liye maafi chahti hoon ...
जवाब देंहटाएंदेह नहीं अब मैं प्यासी हूं
जवाब देंहटाएंसदा सुहागन अभिलासी हूं
जस-अपजस सब भूल बिसर के
अब तो मैं अंतर्वासी हूं
छोड़ो ये बातें गहरीं हैं
मुश्किल है सबको समझाना
प्रिय जब प्रेम कुटी में आना
वाह वाह ! ये पंक्तियाँ तो दिल मे उतर गयीं………॥गज़ब की भावाव्यक्ति।
छोड़ो ये बातें गहरीं हैं
जवाब देंहटाएंyahi satya hai.
बहुत भाव पूर्ण रचना |बहुत बहुत बधाई |आशा
जवाब देंहटाएंखूबसूरत अहसासों को पिरोती हुई एक सुंदर भावप्रवण रचना. आभार.
जवाब देंहटाएंसादर
डोरोथी.
प्रेम अनवरत यात्रा है जीवन की
जवाब देंहटाएंजो प्रथम श्वास से प्रारम्भ हो जाती है..
बहुत सुंदर.....आभार....गिरीश जी
गीता