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शुक्रवार, 27 अगस्त 2010

शक़ीरा जी हां वाका वाका वाली

                     http://smallscreenscoop.com/wp-content/uploads/2009/09/shakira.jpg
  एक हसीन और खूबसूरत सी आवाज़ एवम उर्ज़ा की धनी शक़ीरा यूनिसेफ़ की गुडविल एम्बेस्डर हैं. जी दुनियां की पीढित मानवता के बारे में सोचे उसे  सराहना चाहिये सच मानिये मुझे तो वाका बाला का ये रूप भा गया . और कुछ जानना चाहते हैं तो आईये इधर
यदि आपको शकीरा की कोई और अदा पसंद हो तो आप इधर घूम लीजिये

5 टिप्‍पणियां:

  1. इधर उधर घूम लिये आपके सौजन्य से . वैसे उधर वाली शकीरा ना होती तो इधर वाली को पूछता कौन

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  2. 'इधर जाइये' 'इधर जाइये' ब्लोग है या जंतर मंतर ?
    शकीरा की चड्डी-बनियान वाले फ़ोटो बहुत पसंद आये................
    ............................
    ............................
    .............................
    ..........................
    .............................
    ...........................
    ...............................
    ................................ 'गोस्वामीजी' और उनके दोनों ग्रेंद्चिल्डन को.

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  3. कुछ भी कहो पर हमे तो शकीरा...........
    जिस ' प्रोफेशन' से ये लोग जुडी हैं उनमे कम कपड़े पहनना उनकी जरूरत और मजबूरी भी है. मैं इसकी विरोधी नही. शकीरा के डांस के कुछ स्टेप्स एकदम बेली डांस के ही होते हैं उसके लिए इस तरह के कपड़े पहना पड़ता है. कोई साड़ी पहन कर तो बेली-डांस तो नही कर सकता ना?
    मेरी मजाक करने की आदत है.यूँ ही थोड़ी छेड़ खानी,हँसी मजाक....
    प्लीज़ बुरा मत मानियेगा.
    ये अभिनेता अभिनेत्रियाँ अंग प्रदर्शन ना करते तो शायद हम कभी जान ही ना पाते कि शारीरिक-सौष्ठव भी कोई चीज होती है.इस से लोगों मे 'हेल्द कोंशस्नेस' आई है.इसमें कोई दो राय नही.संपादित करें1:12 am

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  4. आपने सही कहा औरत के वस्त्र कम नहीं होने चाहिये यह हमारी संस्कृति के लिये वाक़ई मिसफ़िट है. परन्तु मैने शक़ीरा के दूसरे पहलू को दिखाना चाहा है. कि वो यूनिसेफ़ के साथ मिल कर जो भी कर रही है बेहद सराहनीय है. हिंदुस्तान की कोई भी अभिनेत्री/लेखिका/ मुझे ऐसे कार्य में सम्बद्ध नहीं मिलि. वैसे आप को बता दूं की शक़ीरा जिन लोगों के लिये काम कर रही है वे शायद ही उसे पहचानते हैं.आपकी क्या राय है ताई

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  5. अच्छा कार्य किसके लिए कर रहे है ,ये जानना जरुरी नही होता ,जरुरी होता है जरुरतमंद के लिए कार्य का किया जाना |अच्छे इंसान कि हर अदा निराली होती है .....रही बात कम कपडों कि तो वक्त के साथ नजरिये और सोच को भी बदलना बेहतर होता है |अपनी कला के सही उपयोग का एक बेमिसाल उदाहरण है शकीरा .........

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