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रविवार, 30 मई 2010

तेरी पूजा के तरीके से बेख़बर हूं मैं न ही उपवास मुझसे हो पाया !

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तूने दस्तक ज़रूर दी होगी..?
मै वो आवाज़ नहीं सुन पाया
कितनी आवाज़ें गिर्द मेरे हैं
तेरा एहसास नही हो पाया !
**************
हर तरफ़ शोर चीख चिल्लाहट
हरेक शख्स में है बेताबी
जितना भी जिसको मिला किस्मत से
वास्ते उसके वो है   नाका़फ़ी  ,
 शोर गुल का यही तो  इक कारन तेरा आभास नही हो पाया !
**************
फ़िर भी दरवाज़ा खोला है मैने
तेरे होने से  गंध बिखरी थी.
मेरे महबूब आ मेरे घर में
हरेक चीज़ यहां है बिखरी सी !
तेरी पूजा के  तरीके से  बेख़बर हूं मैं न ही उपवास मुझसे हो पाया !
https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgL6eD55yw0is01BxReDsM8KCN1edqQ0NxiBTIQK-D_VWfbP46DVrmlWywHU_jzFnXuv_6Sze9hpmQWm052RZxJUBj-xU4fQxKZBew-UfOYZ3YILV8zNtbXirjh400hYNB8cMFsvEGo1nPg/s200/images.jpghttps://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgL6eD55yw0is01BxReDsM8KCN1edqQ0NxiBTIQK-D_VWfbP46DVrmlWywHU_jzFnXuv_6Sze9hpmQWm052RZxJUBj-xU4fQxKZBew-UfOYZ3YILV8zNtbXirjh400hYNB8cMFsvEGo1nPg/s200/images.jpghttps://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgL6eD55yw0is01BxReDsM8KCN1edqQ0NxiBTIQK-D_VWfbP46DVrmlWywHU_jzFnXuv_6Sze9hpmQWm052RZxJUBj-xU4fQxKZBew-UfOYZ3YILV8zNtbXirjh400hYNB8cMFsvEGo1nPg/s200/images.jpg

30 टिप्‍पणियां:

  1. आते ही दो ने नकारा
    शुक्रिया उनको

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  2. waah...........bahut sundarta se dil ki baat kah di........sach hum kabhi jaan hi nahi pate , wahan tak pahuch hi nahi pate sirf zindagi ki uljhanon mein hi fanse rah jate hain.

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  3. वंदना जी यही तो परा-ध्वनियों के आदेश पर लिखी कविता है शायद यही करने हमें ईश्वर ने भेजा है

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  4. bahut khoobsoorat pehli line me tu ki jagah tune kar dijiyega...shayad typing me galti hui...

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  5. इसी बात को समझने के लिये हम जन्मे है दीदी

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  6. जी दिलीप जी आदेश सिर माथे आभार

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  7. फ़िर भी दरवाज़ा खोला है मैने
    तेरे होने की गंध बिखरी थी.
    बहुत ही अच्छी अभिव्यक्ति ,
    गंध की जगह अगर सुगंध हो तो सोने पे सुहागा हो जायेगा ,क्यों ?
    वैसे ये मेरे विचार हैं ,आपको जो ठीक लगे वही रहने दीजियेगा !

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  8. बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति प्रथम बार आया आके ब्लॉग पर ...बहुत प्रसन्नता हुई .....आपकी अन्य रचनाएं भी समय निकालकर पढूंगा ..शब्दों के इस सफ़र में आज से मैं भी आपके साथ हूँ ...बधाई स्वीकारे ...
    http://athaah.blogspot.com/

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  9. गीत है झा साहब गेयता अवरुद्ध होगी

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  10. एक विनती ...हो सके तो 'गंध' को सुगंध करले और तीनो अंतरों की अंतिम पंक्ति पर कुछ और करने के कोशिश करे ....कुछ शब्द संख्या .समान से लगे तो सुन्दरता बढ़ेगी ....वैसे ये भी ठीक है

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  11. राजेंद्र भाई आभार
    स्थिति गीत है, गेयता की दृष्टि से कोशिश की किंतु मामला बिगड़ गया था..
    फ़िर भी देखता हूं...

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  12. teri pooja ke tareeke se bekhabar hu...
    achhi rachna hai...

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  13. फ़िर भी दरवाज़ा खोला है मैने
    तेरे होने की गंध बिखरी थी.
    मेरे महबूब आ मेरे घर में
    हरेक चीज़ यहां है बिखरी सी !
    तेरी पूजा के तरीके से बेख़बर हूं मैं न ही उपवास मुझसे हो पाया !

    बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति.....एहसासों को सुन्दर शब्द दिए हैं

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  14. बहुत खूब लिखा है गिरीशा भाई..वाह!

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  15. साई बाबा तो बिलकुल फ़कीर थे, एक सच्चे इंसान... ऎसे तो ना थे

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  16. तूने दस्तक ज़रूर दी होगी..?
    मै वो आवाज़ नहीं सुन पाया
    ..
    तेरी पूजा के तरीके से बेख़बर हूं मैं
    न ही उपवास मुझसे हो पाया!
    निश्छल अहसास - बहुत सुंदर बहुत खूब

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  17. तूने दस्तक ज़रूर दी होगी..?
    मै वो आवाज़ नहीं सुन पाया
    कितनी आवाज़ें गिर्द मेरे हैं
    तेरा एहसास नही हो पाया !
    गिरीश जी, धन्य हुआ मैं आपने मेरी रचना को सन्दर्भित किया. कितना सघन संगठन है आपकी रचना में, सार्थक और तर्कयुक्त. बहुत उम्दा रचना

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  18. hai to shandar rachna lekin dopahar me dekha tab bhi gandh aur sugandh pe hi mamla latka tha, kynki sawal geyta ka tha, aur abhi tak mamla vahi hi hai jabki aadhi rat ho chuki hai, koi baat nahi, bhale hi gandh aur sugandh ka matlab alag ho lekin geyta pahle aane wali bat hai, hai na?

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  19. आज प्रातः काल से ही मन में एक प्रशन उमड़-घुमड़ रहा था.....

    "क्या हमारा इतना सामर्थ्य है की हम परमात्मा की दी हुई प्रेरणा को अस्वीकृत कर दे,उसे औचित्यहीन घोषित कर दे,बिना उसकी सहमती या आज्ञा के.....?"

    उस पर आपकी के रहस्याभिवयक्ति.....और वो परा-ध्वनियों के आदेश की बात......

    अब तक इसे २०-३० बार पढ़ चुका हूँ.....फिर भी पढ़े जा रहा हूँ...

    कुंवर जी,

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  20. आभार कुंवर जी,मीत जी संजीत जी गौरव जी,वर्मा जी,राज दादाजी,दिलीप जी,राकेश कौशिक जी,समीर भाई,संगीता जी,नीलेश जी,सानु जी,
    @संजीत भैया, सच कहा आपने :-है तो शानदार रचना लेकिन दोपहर में देखा तब भी गंध और सुगंध पे ही मामला लटका था , क्योंकि सवाल गेयता का था , और अभी तक मामला वही ही है जबकी आधी रात हो चुकी है , कोई बात नहीं , भले ही गंध और सुगंध का मतलब अलग हो लेकिन गेयता पहले आने वाली बात है , है न ?
    मुझे बच्चन जी के इस गीत में इस शब्द के प्रोयोग ने सुदृढ़ किया मुझे लगा कि शायद इस शब्द के अनुप्रयोग से कविता में शब्द दोष होगा किंतु बच्चन जी का अनुशरण करने से उत्साह बढ़ा. सु लगा देने से विषेशण अवश्य बढ़ा किंतु गेयता की दृष्टि से मुझे खटक रहा था यह शब्द, गीत का गेय होना ज़रूरी है, यद्यपि संगीतकार को यह गीत दिया जा रहा है यदि गेयता प्रभावित नही हुई तो अवश्य ही संशोधन कर दूंगा . आज सच बेहद प्रफ़ुल्लित हूं .कुंवर जी आप का किन शब्दों मेंण आभार कहूं .........?

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  21. अरे माफ़ कीजिये भाई महफ़ूज़ मियां
    शुक्रिया

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  22. बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति।

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