तेरी पूजा के तरीके से बेख़बर हूं मैं न ही उपवास मुझसे हो पाया !

तूने दस्तक ज़रूर दी होगी..? मै वो आवाज़ नहीं सुन पाया कितनी आवाज़ें गिर्द मेरे हैं तेरा एहसास नही हो पाया ! ************** हर तरफ़ शोर चीख चिल्लाहट हरेक शख्स में है बेताबी जितना भी जिसको मिला किस्मत से वास्ते उसके वो है नाका़फ़ी , शोर गुल का यही तो इक कारन तेरा आभास नही हो पाया ! ************** फ़िर भी दरवाज़ा खोला है मैने तेरे होने से गंध बिखरी थी. मेरे महबूब आ मेरे घर में हरेक चीज़ यहां है बिखरी सी ! तेरी पूजा के तरीके से बेख़बर हूं मैं न ही उपवास मुझसे हो पाया !