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बुधवार, 18 नवंबर 2009

आज तुमसे न मिल पाना तुम्हारे होने को परिभाषित कर गया

आज तुमसे न मिल पाना
तुम्हारे होने को परिभाषित कर गया
और तुम भी बेचैन तो होगे ही
मुझे मालूम हैं अब-तब
किसी न किसी बहाने मुझे याद कर रहे होगे
तब मुझे हिचकियाँ नहीं आयी बस
निश्चेत सी मेरी देह
रोम-रोम बसे तुम्हारे प्यार से
सराबोर हो रही थी.......!
सच तुम्हारी प्रीत एक दिव्य अनुभूति है...
जो कल भी अकूती थी आज भी अकूती है
जिस्मानी ज़रूरतों से अछूती है !
प्रियतम
यही है सच्चे प्रेम का अनुभव
चलो एक बार फिर हम कुछ दूरियां बनाएं
प्रेम में सच्चाई की लों  जगाएं ...
वही लों दुनिया के सामने ला देगी
"हमारी -तुम्हारी -सच्ची-प्रीत कथा   "
___________________________________
जबलपुर ब्रिगेड
मुकुल'स ब्लॉग,
इश्क-प्रीत-लव
मिसफिट
बावरे-फकीरा

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6 टिप्‍पणियां:

  1. जो कल भी अकूती थी आज भी अकूती है
    जिस्मानी ज़रूरतों से अछूती है !
    प्रियतम
    यही है सच्चे प्रेम का अनुभव
    चलो एक बार फिर हम कुछ दूरियां बनाएं
    प्रेम में सच्चाई की लों जगाएं ...
    वही लों दुनिया के सामने ला देगी
    "हमारी -तुम्हारी -सच्ची-प्रीत कथा "

    ati sunder rachna.... man ko chhoo gayi....

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर कविता, यार से ओत पोत, लेकिन पढने मै बहुत कठिनई आई, क्यो कि शव्द बहुत छॊटे है.
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. दूरियाँ भी अक्सर नजदीकियों की सबब बन जाती हैं

    बेहतरीन रचना

    जवाब देंहटाएं
  4. एक बहुत जबरदस्त रचना, बधाई लें.

    जवाब देंहटाएं
  5. सच्ची प्रीत कथा की सच्ची कविता ।

    जवाब देंहटाएं
  6. ज़नाब महफूज़ अली, राज भाटिय़ा जी, समीर जी, शरद कोकास जी,आप सभी आभारी हूँ
    सच्चे प्रेम की अनुभूतियाँ इस ब्लॉग पर लिख रहा हूँ ,,,, कोशिश है की प्रेम के हर उस स्वरुप
    को जिसका अहसास मन का कवि करे सबके सामने रखूँ...........पधारने का शुक्रिया
    सादर

    जवाब देंहटाएं

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