प्रीत निमंत्रण ..!
गूगल से साभार प्रिया,सहज ही तुमने क्योंकर भेजा मुझ तक प्रीत निमंत्रण ..! ********************* मैं विरही हूँ तुम प्रतिबंधित हर आहट पे हुए सशंकित चिंता भरे हरेक पल मेरे मन बिसरा करना अब चिंतन ! हूक उभरती तुम्हें याद कर बिना मिलन हर जीत विसर्जन ! प्रिया,सहज ही तुमने क्योंकर भेजा मुझ तक प्रीत निमंत्रण ..! ********************* तुम्हें खोजतीं आंखें मेरी टकटक शशि की ओर निहारें ! तुम उस पथ से आतीं होगी , सोच के अँखियाँ पंथ-बुहारें ! तुम संयम की सुदृढ़ बानगी मैं संयम से सदा अकिंचन ! प्रिया,सहज ही तुमने क्योंकर भेजा मुझ तक प्रीत निमंत्रण ..! *********************