प्रेम दीप जो तुमने बारे
प्रेम दीप जो तुमने बारे नेह किरण ने किये सकारे ! "हम-तुम" का "संग-दीपक" बाती भर-भर थालों बंटे उजारे...! ************************ किसकी रात हुयी अंधियारी किसके दिन बीते दुखियारे ! किसने कितनी पीड़ा भोगी कौन हुए सुख के हरकारे ! पहुना दीप घर-घर रख दीन्हे - ज़मीं पे उतरे नभ के तारे ? ************************** हर त्यौहार गाँव का मेरे भावों की सुन्दर मंजूषा . सतरंगी पर्वों का भारत ऐसा देश कहीं है दूजा...? अपनी सोच साथ रख अपने मत आके बो तू अंगारे !!