प्रेम का सन्देश देता ब्लॉग

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मंगलवार, 19 अगस्त 2014

पोर पोर पीर बोई पलक पलक धार ने

पोर पोर पीर बोई पलक पलक धार ने
बिरह अगन झुलसाए, प्रीत के ब्यौपार में
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पाखी के जोड़े को संग साथ देख जरूं,
प्रीत पाती लिख तुमसे, बेसुध हो बात करूं !
बिरहा में जीवन, ज्यों बाटियां अंगार में… !
बिरह अगन झुलसाए, प्रीत के ब्यौपार में  !!
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मद भी मैं मदिरा भी, अमृत मैं मान भी,
प्रिय बिन आधी मैं ही,प्रिय की पहचान भी..!
बो मत प्रिय नागफ़नी, तरुतट कचनार में..!!
बिरह अगन झुलसाए, प्रीत के ब्यौपार में  !!
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आखर तो आखर हैं,आखर में भाव भर
केवल अब प्रेम कर , मोल कर न भाव कर
प्रेम कहां मिलता है..? ऊंचे बाज़ार में..?
बिरह अगन झुलसाए, प्रीत के ब्यौपार में  !!

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बुधवार, 13 अगस्त 2014

प्रिया तुम्हारी पैजन छम-छम


प्रिया तुम्हारी पैजन छम-छम,
बाजे मन अकुलाए।
जोगी मन को करे बिजोगी,
नैनन नींद चुराए।।
बोले जो मिसरी रस घोले,
शकन हरे पूछ के कैसे?
बसी श्यामली मन में,
धड़कन का घर हिय हो जैसे,
मिलन यामिनी, मद मदिरा ले, जग के दु:ख बिसराए।
कटि नीचे तक, लटके चोटी,
चंद्र वलय के से दो बाले।
ओंठ प्रिया के सहज रसीले,
दो नयना मधुरस के प्याले।
प्रीति प्रिया की, धवल पूर्णिमा, नित अनुराग जगाए।
नयन बोझ उठाए क्षिति का,
तारों में अपने कल देखे।
इधर बावला धीरज खोता -
गीत प्रीत के नित लेखे।।
प्रीत दो गुनी हुई विरह में, मन विश्वास जगाए।

गुजरात का गरबा वैश्विक हो गया

  जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर गुजरात   के व्यापारियो...