प्रेम का सन्देश देता ब्लॉग

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गुरुवार, 27 फ़रवरी 2014

जैसे सावन सूर को, ऊसर न दिख पाए ...!!

प्रिय छब ऐसी मोहिनी, लख कछु भी न  भाए-
अंखियन से वो सब कहा, ओंठ जो कह न पाए

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गहरे  सागर  से  नयन , मन  भी  गोताखोर- 
छवि जो नित न लख सकूं, मनमोर मचाए शोर 
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प्रियपथ की अनुगामिनी, अनदेखे अकुलाय
जैसे सावन सूर को, ऊसर न दिख पाए ...!!
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मंगलवार, 18 फ़रवरी 2014

अल्ल सुबह ये क्या होता है



तुम
अदेह का सदेह
एहसास हो ।
जो व्योम के पार ले जाना चाहता है मुझे !!
प्रेम में
मैंने तुमको
तुमने मुझे
स्वीकारा है
लौहित अधरों से
छलकती कंपकपी
जाने कब मदालस कर देती है
और पहुँच जाते हैं हम
व्योम के पार
जहां से कोई सूरज ऊग रहा होता है
तब तुम सिलवटें सुधारने के
करने लगती हो प्रयास !!
फिर हौले से एक दीप्त चेहरा लिए
ताम्रपात्र में तुलसी पूजन के साधन
लिए गुज़रती हो
मुझ जैसे आलसी के क़रीब से
बाद वही गंध जो निशीथ की किरणों संग
मदालस बना देती हो
और तुम्हें मदालसा !!
अल्ल सुबह ये क्या होता है
तुमको
एक वीतारागिनी सी
गंभीर हो जाती हो ।


गुजरात का गरबा वैश्विक हो गया

  जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर गुजरात   के व्यापारियो...