प्रेम का सन्देश देता ब्लॉग

Wikipedia

खोज नतीजे

गुरुवार, 27 फ़रवरी 2014

जैसे सावन सूर को, ऊसर न दिख पाए ...!!

प्रिय छब ऐसी मोहिनी, लख कछु भी न  भाए-
अंखियन से वो सब कहा, ओंठ जो कह न पाए

                     **********
गहरे  सागर  से  नयन , मन  भी  गोताखोर- 
छवि जो नित न लख सकूं, मनमोर मचाए शोर 
                      **********
प्रियपथ की अनुगामिनी, अनदेखे अकुलाय
जैसे सावन सूर को, ऊसर न दिख पाए ...!!
                     ***********


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

टिप्पणियाँ कीजिए शायद सटीक लिख सकूं

गुजरात का गरबा वैश्विक हो गया

  जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर गुजरात   के व्यापारियो...