प्रेम का सन्देश देता ब्लॉग

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बुधवार, 19 दिसंबर 2012

सुषमा आहुती की कविता

मेरे हाथो की ये चूड़ियाँ न जाने,                                          
क्या गुनगुना रही है....
खनक-खनक मेरे हाथो में,

याद तुम्हारी दिला  रही है.....

पूछ न ले कोई सबब इनके खनकने का,
मैं इनको जितना थामती हूँ...
नही मानती मेरी बे-धड़क

शोर मचा रही है,
मेरे हाथो की ये चूड़ियाँ

न जाने क्या गुनगुना रही है.....

मैं कुछ कहूँ न कहूँ मेरा हाल-ए-दिल...
मेरी चूड़ियां सुना रही है.....
आज भी तुम्हारी उँगलियों की छुअन से,
मेरी चूड़ियाँ शरमा रही है...
मेरे हाथो की ये चूड़ियाँ न जाने क्या गुनगुना रही है..

मेरी हाथो से है लिपटी,
एहसास तुम्हारा दिला रही है.....
मैं कब से थाम कर बैठी हूँ,
अपनी धडकनों को....
जब भी खनकती है मेरे हाथो में,
धड़कने तुम्हारी सुना रही है.....
मेरे हाथो की ये चूड़ियाँ न जाने क्या गुनगुना रही है..

तुम्हारी तरह ये मुझसे ये रूठती भी है,
रूठ कर टूटती  भी है....
मैं इनको फिर मना रही हूँ....
सहज कर अपने हाथो में सजा रही हूँ,
ये फिर मचल कर तुम्हारी बाते किये जा रही है....
मेरे हाथो की ये चूड़ियाँ न जाने क्या गुनगुना रही है.

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सुषमा आहुति

सोमवार, 10 दिसंबर 2012

कैसे प्रीत की परिधि से बाहर जा ही सकता हूं..?












तुमने इश्क़ के तागों मुझको बांध रक्खा है
तुम्हारी इस जुगत मैं बाहर आ भी सकता हूं !
न जाने बात क्या है तुममें  सोचता मैं अक्सर.
कैसे प्रीत की परिधि से बाहर जा ही सकता हूं..?

देहरी द्वार के भीतर सब कुछ तुम सजाती हो
मेरे बारे में दिन भर सोचते तुम दिन बिताती हो
मृदुल मुस्कान से मुझको  यूं बांध के रखना
रसोई में दाल-सब्जी का फ़िर चखना ..
आज़ ये  पहनो,  रुको .तो ! फ़िर चले जाना !!
तुम्हारे इन्हीं तागों ने मुझको बांध रक्खा है
तुम्हारी इस जुगत कैसे बाहर जा भी सकता हूं !



शुक्रवार, 7 दिसंबर 2012

मैं जो इश्क़ वाली

साभार : श्री अरविंद मिश्रा जी के ब्लाग सेक्वचिदन्यतोSपि...
मैं जो इश्क़ वाली निगाह हूं तू जो हुस्न वाली कि़ताब है
जिसे हर निगाह न सह सकी  तू वो आफ़ताबी शबाब है..!

मुझे ग़ौर से जो निहार ले, मेरा सारा जिस्म संवार दे -
न तो धूल आंखों में रहे, मेरे दिल की गर्दें उतार दे ...!!
मेरे प्यार पे  तू यक़ीन कर- हटा ये पर्दे हिज़ाब के !!

  .......................................तू तो आफ़ताबी शबाब है..!

मेरा इश्क़ बुल्ले शा का ,  तेरा  हुस्न  रब दी राह का
यूं मुझे न तड़पा मेरी जां, आ बोल मेरा गुनाह क्या ?
मेरे इश्क़ का मतलब समझ,नहीं  हर्फ़ ये  हैं कि़ताब के !!

  .......................................तू तो आफ़ताबी शबाब है..!








गुजरात का गरबा वैश्विक हो गया

  जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर गुजरात   के व्यापारियो...