प्रेम का सन्देश देता ब्लॉग

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गुरुवार, 23 फ़रवरी 2012

तुम इस बार आए मेरे शहर तक वज़ह क्या थी कि न आए घर तक..

तुम इस बार आए मेरे शहर तक
वज़ह क्या थी कि न आए घर तक...
वरना हाथों से अपने इस तरह
दिल को समझाना नहीं पड़ता..
तुम्हैं भी न आने का बहाना गढ़ना नहीं पड़ता..
न तुम लिखते कोई कविता विरह की
न कोरें भिगो कर मुझको भी पढ़ना नहीं पड़ता..
आ जाते तो क्या परबत कोई पिघल जाता
मुझसे मिलते इक पल क्या कोई
नग़मा फ़िसल जाता...?
तुम्हारे घर न आने की वज़ह जो भी हो लेकिन
ग़र आ जाते तुम तो नईं कुछ बातें कर लेती
हमारी रस भरी बातौं से
हमारा मन बदल जाता
अब फ़िर से वही चिंता तुम्हारी..
 कैसे हो.. कहां होगे ?
 दिल को समझा रहीं हूं
अच्छे होगे जहां होगे..!! 

मंगलवार, 14 फ़रवरी 2012

भीगे नयन बता ही देंगे कैसे तुम ने रात बिताई


भीगे नयन बता ही देंगे
कैसे तुम ने रात बिताई
कैसे व्यक्त करें हम बोलो
कैसी अपनी थी तन्हाई.
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कभी तुम्हारे सपने ... देखे
कभी तुम्ही में सपने देखे !
शाल-दुशाले ओढ़ के हमने
कोशिश की थी सपने देखें.
  कोशिश बहुत हुई थी फ़िर भी प्रियतम भोर भए तक नींद न आई..
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मन वियोगवन का मृग छौना -
देह ! देह क्या.. एक  खिलौना !
पल-छिन बस  आभास  तुम्हारा-
तुम बिन क्षण युग सा,मास-बरस सब कुछ  बौना !
  कोशिश बहुत हुई थी फ़िर भी प्रियतम अंजोरी तक रास न  आई..
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शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2012

भाई से पिटें तेरे या छ्ज्जे से गिरें हम

इज़हारे इश्क  में ज़ख्म, मिलना है तय शुदा
भाई से पिटें तेरे या छ्ज्जे से गिरें हम
इक संत का सिखाया इश्क़ सबसे कर के देख
काफ़ी घरों में बेहूदा नुमाइश न करें हम..!!
हर गुल की पंखुरी चिकनी ही है होती-
बेवज़ह चमेली को न बदनाम करें हम ...!!


 .

गुरुवार, 9 फ़रवरी 2012

कारीगर के पसीने से है ताज़ बे़मिसाल है..


हुनरमंद कारीगरों का कमाल देखिये
ये ताज़ इमारत   है बेमिसाल देखिये
भाई का क़ातिल किसी से इश्क करेगा..? 
कारीगर के पसीने से है ताज़ बे़मिसाल है....
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लहरों को बांसुरी की हर  तान  याद है
जमुना को भी किसन की मुस्कान याद है
गलियों में बिरज की साथ ये  न थे -
हर लब को जो मीरा ओ’रसखान याद है..
जिस्मानी इश्क होगा तो  मक़बरे होंगे..
बुल्ले का इश्क़ दुनिया में बेमिसाल है 
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मंगलवार, 7 फ़रवरी 2012

गुलाब दिवस पर : प्रिय तुम गुलाब हो








मौन फ़िर भी पूर्णत: व्यक्त
मदालस गंध से संपृक्त....!!
तुम्हैं पाकर अक्सर मन कहता है
तुम पूजा के योग्य हो..!!
और फ़िर लगाता हूं
पूजा के लिये जुगत
ताम्र-पात्र में गंगा सा पावन जल
चंदन अक्षत रोली गंध-सुगंध
सच ये सब तुम्हारे ही तो मीत हैं..
तुम आराधना के सहभागी
तुम  पावन  और  अनुरागी
लोग कहतें हैं तुम "शबाब" हो
मेरे लिये तुम पूजा की थाल का गुलाब हो ..!!

गुजरात का गरबा वैश्विक हो गया

  जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर गुजरात   के व्यापारियो...