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बुधवार, 14 नवंबर 2012

फ़िल्मी गीत-संगीत का स्वर्ण युग अब नहीं रहा : आभास जोशी

                    सवाक सिनेमा के सौ बरस पूरे तो हुए पर सिनेमाई संगीत के मायने ही बदल गये . आज़ आपको साठ सत्तर के दशक का सिनेमाई संगीत याद होगा. किंतु बेहद बुरी दशा है हिंदी फ़िल्म संगीत की. बकौल गायक आभास जोशी-"फ़िल्में अब गायकों के लिये अनुकूल नहीं रह गईं हैं."
उनके संगीतकार भाई श्रेयस जोशी का मानना है -"फ़िल्मी गीतों की अधिकतम उम्र अब 15 दिन से ज़्यादा नहीं है."
     गीतकारों,गायकों, संगीतकारों, के नज़रिये से देखा जाए तो बात बहुत हद तक़ बेहद सही और सटीक ही है. 
      दीपावली के मौके पर अपनी दादी से मिलने जबलपुर आए आभास ने बताया - उनका एलबम एच.एम.वी. से ज़ल्द ही निकलेगा. फ़्यूज़न एलबम "ठगनी" कबीरदास जी की रचनाओं पर आधारित है. 2012 के बीतते बीतते आभास जोशी की गायकी आप श्रेयस के संगीत निर्देशन बेहद असरदार साबित होगा. 
  इस वीडियो एलबम की आडियो-वीडियो रिकार्डिग पूर्ण हो चुकी है. प्रोड्यूसर शीघ्र ही इसे लांच करने वाले है.......... 
आभास जोशी के ताज़ा एलबम महानायका ने भी अपनी जगह बना ली है
दीपावली पर आभास श्रेयस जबलपुर में 
     


3 टिप्‍पणियां:

  1. बदलाव ही जीवन है. आज का गीत संगीत, आज से 30 साल बाद याद कि‍या जाएगा...

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  2. Aaj ke geet sangeet ko is liye yaad nahi rakha jayega kyonki geeton ka koi arth nahi hai. Aaj se 25 saal pahle ke geeton ko ligiye kya anand aata hai.

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  3. Aaj ke geet sangeet ko is liye yaad nahi rakha jayega kyonki geeton ka koi arth nahi hai. Aaj se 25 saal pahle ke geeton ko ligiye kya anand aata hai.

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