शरद-पूनम की अंजोरी में मैं तुमको पाता हूं..
बहुत हो खूबसूरत तुम ये सबको
बताता हूं..!
कोई जो पूछता है किसकी बातें
कर रहे हो तुम –
यूं ही आकाश की ज़ानिब सर उठाता
हूं..
बिना कुछ बोले मृदुल मुस्कान
यूं आ ही जाती है
बिना कुछ बोले उनको सब कुछ बताता
हूं.
कि है वो कौन किसके वास्ते ज़िंदा
ये दीवाना
कभी मैं गुनगुनाता हूं कभी लिखता
हूं अफ़साना.
यक़ीनन मैं ही हूं आशिक़ तुम्हारी हर अदाओं का
मुंतज़िर हूं मेरे मेहबूब तुम्हारी ही सदाओं का.
तुम्ही कह दो मिलेंगे कब कहां कैसे ओ अंजोरी..
मुंतज़िर हूं.. तुम्हारी प्यार बरसाती निगाहों का.
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !!
जवाब देंहटाएंबहुत हो खूबसूरत तुम ये सबको बताता हूं..!
जवाब देंहटाएंड्यूटी छोड़ कर बस यहीं पर मंडराता हूं हूं हूं हूं .....:))
वाह....
जवाब देंहटाएंबेहद खूबसूरत...
सादर
अनु
बहुत ही बेहतरीन, इसको रिकॉर्ड कीजिये और भेजिए merablogsuno.com की शोभा बढाने के लिए
जवाब देंहटाएं