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बुधवार, 11 जुलाई 2012

हरियाया ये विरही सावन धीरज से श्रृंगार करो ......

तुम्हरे  नयनों ने जो बोला बात वही तो बता रहा है.
प्रिय सुगना बन  कपोत अपना वादा निभा रहा है. 
 भटक भटक के खोजा शुक ने आज तुम्हारे  दर्पन को......
 प्रिय अब और न तुम भटकाना अपने सुगना मन को 
हरियाया ये विरही सावन धीरज से श्रृंगार करो ......
प्रीत संदेशा भेजो कपोत से सुगना पर उपकार करो
शुक सुई पे मत करो भरोसा, इनसे धोखा पाओगी..

इन पर अगर भरोसा कीन्हा.. सच पीछे पछताओगी







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