प्रेम का सन्देश देता ब्लॉग

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मंगलवार, 26 जुलाई 2011

सच की दस्तक़ किस घर दें हम दरवाज़े लग जातें हैं !!


दो लफ़्ज़ों से "प्रेम" लिखा, अपनी अपनी  .. धड़कन पर..! 

फ़िर वही फ़साना बना जिसे हम अक्सर हम दुहराते हैं !!
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प्रीत ने संयम तोड़  दिया तो रुसवाई की धुल उडी ...
अपराधी से हटीं अंगुलियां, आज़ हमारी ओर मुड़ी...!!
सच की दस्तक़ किस घर दें हम  दरवाज़े लग जातें हैं !!
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वो जीवन भी कैसा जीवन, प्रीत का पाठ जो न बांचे
वो क्या जानें तड़प हीर की,क्यों कर दीवाने रांझे...?
प्रीत-शिखर पे जो जा पहुंचे, सफ़ल वही हो जाते हैं. 
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तुम चाहो तो घृणा करो अब, या मुझको मत स्वीकारो
चाहे जितना कोसो  मुझको  या पग  पग  बाधा  डालो
हम तो हैं पागल दीवाने, प्रेम गीत ही गाते हैं...
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शनिवार, 23 जुलाई 2011

गीत प्रीत के गाने दो, प्रिय  मन  तक सुर जाने दो
तुम से मिल कर तेज हुई, धड़कन को समझाने दो
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मेरे प्रेमगीत में देखो -ताल तुम्हारी धड़कन की है
प्रीत है मुझसे कह देने में क्यों कर मन में अड़चन सी है
जो अंतस में सुलग रहा है, उसको बाहर आ जाने दो      
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किस बंधन ने बांध रखा है, प्रीत की निर्मल सी धारा को
रुका नीर सागर का भी ,नीर तो है किंतु खारा वो
मत रोको बेवज़ह नीर को, सहस-धार से बह जाने दो 
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रविवार, 17 जुलाई 2011

दूर गांव से अमराई में कुछ पल के लिये आ जाया करो !

जो तुमने कहा मुझे याद नहीं कई बार कहो कहती ही रहो
तुम तन्हां नहीं मैं साथ में हूं, आभासों में  मिल जाया करो


 आभासों इस दुनियां में एक सच्चा साथी जो मिल जाये-
  भंवर-भटकते जल चर को तिनके का सहारा मिल जाए .
                मेरे घावों पे आकर तुम- धीरज मरहम मल जाया करो  !


  मन साफ़ तौर पे कहता ये-है प्यार तुम्हीं से ओ पावन
   तुम चाहे जी जितना करलो, मेरे कथनों का अनुमापन
         मेरे गीतों में बसो प्रिये तुम  लौट के घर न जाया करो !


जो भी सच है वो प्यार ही  है  है प्रेम नींव पे ये दुनियां,
सबका अपना अनुशीलन है, हर प्रेमी की अपनी दुनियां
              दूर गांव से अमराई में कुछ पल के लिये आ जाया करो !


तुमने मुझको सब कुछ सौंपा, और देखे हैं  मादक सपने
अब नही तेरे मेरे भी हैं , चंचल आंखौं के वो सब सपने  
               मैने भी सपन सजाए हैं, उनमें ही तुम तो आया करो  !

शनिवार, 9 जुलाई 2011

मन में आकर तुम ने मेरे पीर भरा जोड़ा क्यों नाता .

साभार: नौभास से
मन में आकर तुम ने मेरे पीर भरा जोड़ा क्यों नाता .
अपनी अनुबंधित शामों से क्यों कर तोड़ा तुमने नाता
मैं न जानूं रीत प्रीत की, तुम ने लजा लजा सिखलाई..
इक अनबोली कहन कही अरु राह प्रीत की  मुझे दिखाई
इक तो मन मेरा मस्ताना-मंद मंद तेरा  मुस्काना ..
भले दूर हो फ़िर तुमसे.. बहुत गहन है मेरा नाता..!!
मन में आकर तुम .........................................!!
उर मेरे आ बसे सलोने, सपन तुम्हारे ही कारन हैं,
कैसे "प्रीत-अर्चना" कर लूं..? मन का भी तो अनुशासन है.
मेरा पल पल रंगा है तुमने, सपने तुमने लिये वसंती-
प्रिया हो तुम तो रंगरेजन सी..तुमको पत्थर  रंगना  आता !!
मन में आकर तुम .........................................!!

रविवार, 3 जुलाई 2011

हम बोले तो पलक झुका लीं


तुमने बिन बोले सब बोला, हम बोले तो पलक झुका लीं
अपलक देखा करती मुझको, सन्मुख आके नज़र हटा लीं
हमने कितनी रात बिताईं.. भोर से पहले तारे गिनके...
तुम कब आओगी छज्जे पे.. बैठे है हम ले कर’-मनके..!
तुम आईं भी देखा भी था, नयन मिले तो पीठ दिखा दी .!



गुजरात का गरबा वैश्विक हो गया

  जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर गुजरात   के व्यापारियो...