बुधवार, 29 जून 2011
सोमवार, 27 जून 2011
स्वपन-प्रिया
तुम बिन सच कितना
खाली सा
मेरे मन का जोगी दर्पण
मेरे मन का जोगी दर्पण
तुम चाहो तो
तोड़ के बंधन
मेरे मन के गीत सजा दो
तुम चाहो तो
प्रीत निवेदन
मेरा इक पल में ठुकरा दो !
तोड़ के बंधन
मेरे मन के गीत सजा दो
तुम चाहो तो
प्रीत निवेदन
मेरा इक पल में ठुकरा दो !
टूट न जाए
संयम मनका
कुछ मनके संयम के गुथना
जब तक मेरी
नींद न टूटे
मेरे सपन में बस तुम रुकना !
संयम मनका
कुछ मनके संयम के गुथना
जब तक मेरी
नींद न टूटे
मेरे सपन में बस तुम रुकना !
स्वपन प्रिया ये
दुनिया झूठी
हम-तुम को न सह पाएगी
अपने पावन
नातों को यह
जाने क्या-क्या कह जाएगी
दुनिया झूठी
हम-तुम को न सह पाएगी
अपने पावन
नातों को यह
जाने क्या-क्या कह जाएगी
टूट न जाए,
संयम मनका
कुछ मनके
संयम के गुथना,
जब तक जारी
-”सपन सवारी”
चिंतन का घट पूरन रखना !
संयम मनका
कुछ मनके
संयम के गुथना,
जब तक जारी
-”सपन सवारी”
चिंतन का घट पूरन रखना !
मंगलवार, 21 जून 2011
बस एक बार देख लो तुम्हारे ही पल हैं न ये पल ?
तुम जो हासिये पर
रखती हो अपने सपने
तुम जो रो रो कर
सूनी रातों में
यादों के तकिया लगाकर..
भिगो देतीं हो तकिया
फ़िर इस डर से कि
बेटी पूछेगी सफ़ेद तकिये पर
खारे आंसुओं के निशान देख -"मां, आज़ फ़िर तुम..गलत बात "
तुम जो उठ उठ कर
आज़ भी इंतज़ार करती हो !!
सुनहरी यादों के उन पलों को..!
मैं कब से
हाथों में संजोए बैठा हूं !
बस एक बार देख लो
तुम्हारे ही पल हैं न ये पल ?
जो तुमसे छिटक कर छले गये थे
हां सुनहरी यादों वाले !!
रखती हो अपने सपने
तुम जो रो रो कर
सूनी रातों में
यादों के तकिया लगाकर..
भिगो देतीं हो तकिया
फ़िर इस डर से कि
बेटी पूछेगी सफ़ेद तकिये पर
खारे आंसुओं के निशान देख -"मां, आज़ फ़िर तुम..गलत बात "
तुम जो उठ उठ कर
आज़ भी इंतज़ार करती हो !!
सुनहरी यादों के उन पलों को..!
मैं कब से
हाथों में संजोए बैठा हूं !
बस एक बार देख लो
तुम्हारे ही पल हैं न ये पल ?
जो तुमसे छिटक कर छले गये थे
हां सुनहरी यादों वाले !!
सोमवार, 20 जून 2011
मेरे गीतों में बसो प्रिये फ़िर लौट के घर न जाया करो !!
जो तुमने कहा मुझे याद नहीं
कई बार कहो कहती ही रहो
तुम तन्हां नहीं मैं साथ में हूं,
आभासों में मिल जाया करो
आभासों इस दुनियां में
एक सच्चा साथी जो मिल जाये-
भंवर-भटकते जल चर को
तिनके का सहारा मिल जाए .
मेरे घावों पे आकर तुम- धीरज मरहम मल जाया करो !
मन साफ़ तौर पे कहता ये-
है प्यार तुम्हीं से ओ पावन
तुम चाहे जी जितना करलो,
मेरे कथनों का अनुमापन
मेरे गीतों में बसो प्रिये फ़िर लौट के घर न जाया करो !!
तुम अपनी मधुरिम यादों को
कब तक रखोगी सीने पर ,
जो असर डालतीं हैं अक्सर
सांसों पे अरु जीने पर
कभी कभी एक बार मुझे अपनी बातें कह जाया करो !!
कई बार कहो कहती ही रहो
तुम तन्हां नहीं मैं साथ में हूं,
आभासों में मिल जाया करो
आभासों इस दुनियां में
एक सच्चा साथी जो मिल जाये-
भंवर-भटकते जल चर को
तिनके का सहारा मिल जाए .
मेरे घावों पे आकर तुम- धीरज मरहम मल जाया करो !
मन साफ़ तौर पे कहता ये-
है प्यार तुम्हीं से ओ पावन
तुम चाहे जी जितना करलो,
मेरे कथनों का अनुमापन
मेरे गीतों में बसो प्रिये फ़िर लौट के घर न जाया करो !!
तुम अपनी मधुरिम यादों को
कब तक रखोगी सीने पर ,
जो असर डालतीं हैं अक्सर
सांसों पे अरु जीने पर
कभी कभी एक बार मुझे अपनी बातें कह जाया करो !!
शनिवार, 18 जून 2011
रिस रिस के छाजल रीत गई
तुम बात करो मैं गीत लिखूं
*************************
कुछ अपनी कहो कुछ मेरी सुनो
कुछ ताने बाने अब तो बुनो
जो बीत गया वो सपना था-
जो आज़ सहज वो अपना है
तुम अलख निरंजित हो मुझमें
मन चाहे मैं तुम को भी दिखूं
तुम बात करो मैं गीत लिखूं
*************************
तुम गहराई सागर सी
भर दो प्रिय मेरी गागर भी
रिस रिस के छाजल रीत गई
संग साथ चलो दो जीत नई
इसके आगे कुछ कह न सकूं
तुम बात करो मैं गीत लिखूं
*************************
तुमको को होगा इंतज़ार
मन भीगे आऎ कब फ़ुहार..?
न मिल मिल पाए तो मत रोना
ये नेह रहेगा फ़िर उधार..!
मैं नेह मंत्र की माल जपूं
तुम बात करो मैं गीत लिखूं
*************************
शुक्रवार, 17 जून 2011
रुक जाओ मिलना है तुमसे , मत जाओ यूं जाल बिछाके
तुम संग नेह के भाव जगाके
बैठ थे हम पलक भिगाके
कागा शोर करे नीम पर -
मीत मिलन की आस जगाके
*******************
नेह निवाले तुम बिन कड़्वे
उत्सव सब सूने लगते हैं,
तुम क्या जानो विरह की पीडा
मन रोता जब सब हंसते हैं.
क्यों आए मेरे जीवन में- आशाओं का थाल सजाके.
*******************
ज़टिल भले हों जाएं हर क्षण
पर तुम हो मेरे सच्चे प्रण..!
जब भी मुझको स्वीकारोगे-
तब होंगे मदिर मधुर क्षण..!!
रुक जाओ मिलना है तुमसे , मत जाओ यूं जाल बिछाके
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
गुजरात का गरबा वैश्विक हो गया
जबलपुर का गरबा फोटो अरविंद यादव जबलपुर जबलपुर का गरबा फोटो अरविंद यादव जबलपुर गुजरात के व्यापारियो...
-
तुम चुप क्यों हो कारण क्या है ? गुमसुम क्यों हो कारण क्या है ? जलते देख रहे हो तु...
-
पाकिस्तान में महिला अधिकारों को लेकर हम सब केवल इतना जानते हैं कि वहां महिलाओं को कोई खास अधिकार प्राप्त नहीं है। परंतु हिंदूकुश...
-
तूने दस्तक ज़रूर दी होगी..? मै वो आवाज़ नहीं सुन पाया कितनी आवाज़ें गिर्द मेरे हैं तेरा एहसास नही हो पाया ! ************** हर तरफ़ शोर ...