प्रेम का सन्देश देता ब्लॉग

Wikipedia

खोज नतीजे

मंगलवार, 26 जुलाई 2011

सच की दस्तक़ किस घर दें हम दरवाज़े लग जातें हैं !!


दो लफ़्ज़ों से "प्रेम" लिखा, अपनी अपनी  .. धड़कन पर..! 

फ़िर वही फ़साना बना जिसे हम अक्सर हम दुहराते हैं !!
***********
प्रीत ने संयम तोड़  दिया तो रुसवाई की धुल उडी ...
अपराधी से हटीं अंगुलियां, आज़ हमारी ओर मुड़ी...!!
सच की दस्तक़ किस घर दें हम  दरवाज़े लग जातें हैं !!
 ***********
वो जीवन भी कैसा जीवन, प्रीत का पाठ जो न बांचे
वो क्या जानें तड़प हीर की,क्यों कर दीवाने रांझे...?
प्रीत-शिखर पे जो जा पहुंचे, सफ़ल वही हो जाते हैं. 
 ***********
तुम चाहो तो घृणा करो अब, या मुझको मत स्वीकारो
चाहे जितना कोसो  मुझको  या पग  पग  बाधा  डालो
हम तो हैं पागल दीवाने, प्रेम गीत ही गाते हैं...
 ***********

4 टिप्‍पणियां:

  1. कविता की मुझे ज्यादा समझ नहीं है मित्र...लेकिन आपकी ये रचना मुझे बड़ी प्यारी लगी...

    जवाब देंहटाएं
  2. पहले आप सटीक लिखिए गिरीश भाई

    फिर हम टिप्‍पणी लिखेंगे।

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत पसन्द आया
    हमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  4. तुम चाहो तो घृणा करो अब, या मुझको मत स्वीकारो
    चाहे जितना कोसो मुझको या पग पग बाधा डालो
    हम तो हैं पागल दीवाने, प्रेम गीत ही गाते हैं...likhte likhte prem bahut kuch seekha jayega

    जवाब देंहटाएं

टिप्पणियाँ कीजिए शायद सटीक लिख सकूं

गुजरात का गरबा वैश्विक हो गया

  जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर गुजरात   के व्यापारियो...