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रविवार, 17 जुलाई 2011

दूर गांव से अमराई में कुछ पल के लिये आ जाया करो !

जो तुमने कहा मुझे याद नहीं कई बार कहो कहती ही रहो
तुम तन्हां नहीं मैं साथ में हूं, आभासों में  मिल जाया करो


 आभासों इस दुनियां में एक सच्चा साथी जो मिल जाये-
  भंवर-भटकते जल चर को तिनके का सहारा मिल जाए .
                मेरे घावों पे आकर तुम- धीरज मरहम मल जाया करो  !


  मन साफ़ तौर पे कहता ये-है प्यार तुम्हीं से ओ पावन
   तुम चाहे जी जितना करलो, मेरे कथनों का अनुमापन
         मेरे गीतों में बसो प्रिये तुम  लौट के घर न जाया करो !


जो भी सच है वो प्यार ही  है  है प्रेम नींव पे ये दुनियां,
सबका अपना अनुशीलन है, हर प्रेमी की अपनी दुनियां
              दूर गांव से अमराई में कुछ पल के लिये आ जाया करो !


तुमने मुझको सब कुछ सौंपा, और देखे हैं  मादक सपने
अब नही तेरे मेरे भी हैं , चंचल आंखौं के वो सब सपने  
               मैने भी सपन सजाए हैं, उनमें ही तुम तो आया करो  !

4 टिप्‍पणियां:

  1. मन साफ़ तौर पे कहता ये-है प्यार तुम्हीं से ओ पावन
    तुम चाहे जी जितना करलो, मेरे कथनों का अनुमापन
    मेरे गीतों में बसो प्रिये तुम लौट के घर न जाया करो !
    बहुत सुंदर प्रेम गीत.
    "मन जब कहता,सच ही कहता"-यह सत्य कथन स्वीकार करो
    अपने मन का निर्देश सुनो , स्वछंद हृदय से प्यार करो
    तर्कों की लाग - लपेटी में , ना अपना मन भरमाया करो !

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  2. बहुत ही खूबसूरती से एहसासों को आपने शब्दों में उतारा है आपने..

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  3. भावनाओं को सुन्दर अभिव्यक्ति दी है आपने.

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