प्रेम का सन्देश देता ब्लॉग

Wikipedia

खोज नतीजे

शनिवार, 18 जून 2011

रिस रिस के छाजल रीत गई

तुम बात करो मैं गीत लिखूं
*************************
कुछ अपनी कहो कुछ मेरी सुनो
कुछ ताने बाने अब तो बुनो
जो बीत गया वो सपना था-
जो आज़ सहज वो अपना है
तुम अलख निरंजित हो मुझमें
मन चाहे मैं तुम को भी दिखूं
            तुम बात करो मैं गीत लिखूं
*************************
तुम गहराई  सागर सी
भर दो प्रिय मेरी गागर भी
रिस रिस के छाजल रीत गई
संग साथ चलो दो जीत नई
इसके आगे कुछ कह न सकूं
         तुम बात करो मैं गीत लिखूं
*************************
तुमको को होगा इंतज़ार
मन भीगे आऎ कब फ़ुहार..?
न मिल मिल पाए तो मत रोना
ये नेह रहेगा फ़िर उधार..!
मैं नेह मंत्र की माल जपूं
         तुम बात करो मैं गीत लिखूं
*************************

3 टिप्‍पणियां:

  1. वाह,,,सुन्दर गीत...आप तो इसे अपनी आवाज में गाकर प्रस्तुत करें.

    जवाब देंहटाएं
  2. तुम बात करो मैं गीत लिखूं

    तुम्हारी बातों में मेरा गीत कल से नहीं लिखा गया।
    गीत सटक गया और रात भर जागता रहा। आज देखेते हैं :)

    जवाब देंहटाएं

टिप्पणियाँ कीजिए शायद सटीक लिख सकूं

गुजरात का गरबा वैश्विक हो गया

  जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर गुजरात   के व्यापारियो...