प्रेम का सन्देश देता ब्लॉग

Wikipedia

खोज नतीजे

शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

हां ! उस रात सितारों से तुम्हारा ज़िक्र हुआ

हां ! उस रात
देर तक सितारों से 
तुम्हारा ज़िक्र हुआ !
तुम्हारा न होना
सितारों पर भारी था
विरह में कुछ  सितारे
सिसकने लगे
कुछ जो बेहद व्यग्र थे
इधर-उधर खिसकने लगे
तभी
ज्यों ही
पूरब से
सूरज ने झांका
अदृश्य हुए बेचारे
सितारे
तुम
अपनी अंजोरीयां
मत ले जाया करो
साथ समेट के !
हां चांद सच है !
इन सितारों को
इन बेचारों को
तुम्हारे बिना
भाते नहीं कोई भी पाठ
आकाशी सलेट पे !!


 इस पोस्ट पर प्रयुक्त चित्रों के लिये अगर चित्र के सृजक/स्वामी को कोई आपत्ती हो तो मुझे सूचित कीजिये.


9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही बढ़िया अभिव्यक्ति.

    हां ! उस रात
    देर तक सितारों से
    तुम्हारा ज़िक्र हुआ !
    तुम्हारा न होना
    सितारों पर भारी था
    विरह में कुछ सितारे
    सिसकने लगे
    कुछ जो बेहद व्यग्र थे
    इधर-उधर खिसकने लगे

    बहुत खूब.
    सलाम.

    जवाब देंहटाएं
  2. तुम्हारे बिना
    भाते नहीं कोई भी पाठ
    आकाशी सलेट पे !!....

    अच्छी कविता के लिये बधाई स्वीकारें।

    जवाब देंहटाएं

टिप्पणियाँ कीजिए शायद सटीक लिख सकूं

गुजरात का गरबा वैश्विक हो गया

  जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर गुजरात   के व्यापारियो...