प्रेम का सन्देश देता ब्लॉग

Wikipedia

खोज नतीजे

रविवार, 31 अक्तूबर 2010

मेरी प्रेम कुटी में आना


                                                                                 

https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi4Cgm03_cBaugt-a0494pxHsgLlhcV8O8Vi-p0uvk9Scjp10-W8SFSlxxBSy6FoKPJ1FiWBT0Zlhq6nDUF4sEKCE1dFx8wPbBhu9ZxvlmHJY1S9GZRGAe92_uOrN2pYlQX6_ajtanZHtZw/s200/kuti.bmp
छवि साभार:शब्दों का सफ़र से
प्रिय जब  प्रेम कुटी में आना 
***************
मन ने संय़म साध लिया है
तुमको भी तो बांच लिया है 
अश्रु निवालों के साथी थे 
आज नमक ने साथ लिया है
हरियाई है पालक मेंथी-
राह दिखे तो  ले ही आना 
            प्रिय जब  प्रेम कुटी में आना 
***************
तुम संग जीवन की वो यादें
रोज रुलातीं थीं मृदु   बातें
नीरस था सखियन का संग भी
अब दिन उजला जगमग रातें
अब आओ तो रुक ही जाना
मत कुछ लाना बस तुम आना
            प्रिय जब  प्रेम कुटी में आना 
***************
देह नहीं अब मैं प्यासी हूं
सदा सुहागन अभिलासी हूं
जस-अपजस सब भूल बिसर के
अब तो मैं अंतर्वासी हूं
                                                                           छोड़ो ये बातें गहरीं हैं
                                                                       मुश्किल है सबको समझाना
                                                                                        प्रिय जब  प्रेम कुटी में आना 
                                                                            ***************
गिरीश बिल्लोरे मुकुल
जबलपुर

मंगलवार, 19 अक्तूबर 2010

मेरी कविता कई भाषाओ में अनुवादित

गूगल बाबा  की करामात ही है कि मेरी कविता हिन्दी से अंग्रेजी ,जर्मन,चीनी,फ़्रेंच ,रशियन ,भाषाओं में  अनुवादित हो गई है. ,
कविता
तुम मैं और हम सब
चुनते हैं  ज़िंदा सुलगते सवाल
 सवाल जो सुर्ख हैं
उन घावों की तरह
जिनसे बहता  है खून
जो अब नहीं उबलता
बस बहता है हमारी नसों  पर या
सडकों पर
बस केवल सिद्ध करने "श्रेष्ठता"
मैं सोचता हूँ  कह दूं
मानव जनित आपदाओं से
रुक जाओ एक पल के लिए
मैं जीना चाहता हूँ   .....
एक पल शान्ति के साथ
जिससे मुझे  प्रेम है ..!!  

शनिवार, 16 अक्तूबर 2010

जी हां अभी मुझे इश्क़ नहीं हुआ

http://www.indiangiftsportal.com/myshop/images/products-big/tokenz-avyprd029.jpg
मीराबाई ब्लाग से साभार (ब्लागर अमृतवाणी)
भक्ति के रंग में सराबोर मीरा का कन्हैया कोई सदेह जीव था कदापि सोचना भी व्यर्थ है. मीरा एक भाव थी जिसको सम्मोहित किया पराशक्ति ने. जिसे ईश्वर कहा जाना ठीक होगा . तो क्या ईश्वर से इश्क़ सम्भव है. सतही तौर पर नहीं. आध्यात्मिक तौर पर सम्भव है. जिसके लिये एक महान तापस-व्यक्तित्व का होना ज़रूरी है. यही तो बुल्ले शा ने किया था. यही सूरा का प्रेम था.  सारे सूफ़ी यही तो कह रहे हैं. मुझे-आप को भी तो इश्क होता है उस परा शक्ति से पर क्षणिक अस्तु एक लम्बे प्रेमी बनने के लिये ज़रूरी है मीरा का भाव बुल्ले का समर्पण यक़ीनन तभी हम दीर्घ प्रेम पाश में बंध पायेंगे. सच है ये इश्क लाखों बार जन्म लेने के बाद कभी किसी  एकाध को ही हो पाता है....!! जी हां अभी मुझे वैसा  इश्क़ नहीं हुआ अभी तक यक़ीनन
यक़ीन नहीं तो इसे सुनना ज़रूर 

सोमवार, 11 अक्तूबर 2010

अंतिम कविता 01 : तुम खूबसूरत हो

तुम
http://www.loksatta.com/daily/20030315/ext01.jpg
साभार : लोकसत्ता
सच बेहद खूबसूरत हो
नाहक भयभीत होते है
तुमसे अभिसार करने
तुम बेशक़ अनिद्य सुंदरी हो
अव्यक्त मधुरता मदालस माधुरी हो
बेजुबां बना देती हो तुम
बेसुधी क्या है- बता देती हो तुम
तुम्हारे अंक पाश में बंध देव सा पूजा जाऊंगा
पलट के फ़िर
कभी न आऊंगा बीहड़ों में इस दुनियां के
ओ मेरी सपनीली तारिका
शाश्वत पावन  अभिसारिका
तुम प्रतीक्षा करो मैं ज़ल्द ही मिलूंगा

शुक्रवार, 8 अक्तूबर 2010

एक अदेखे स्वप्न से.....


एक अदेखे स्वप्न  से आतंकित
बीच विचारों चिंताओं के
पिसता चीखता चिल्लाता
मैं सत्य हूं सत्य के क़रीब हूं !!
मैं सच्चा हूं अच्छा हूं ……..!!
तुम सब मेरी सत्ता को स्वीकारो
जी हां,
यही जीवन जीता हूं
पर क्यों
अस्तित्व की रक्षा की कशिश
सत्ता की तपिश
 इनको कारण बताता 
बस एक प्रेम की किरण न दे सका 
जीवन तभी तो 
आतंकित है 
एक अदेखे स्वप्न  से

गुजरात का गरबा वैश्विक हो गया

  जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर गुजरात   के व्यापारियो...