प्रेम का सन्देश देता ब्लॉग

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शुक्रवार, 27 अगस्त 2010

शक़ीरा जी हां वाका वाका वाली

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  एक हसीन और खूबसूरत सी आवाज़ एवम उर्ज़ा की धनी शक़ीरा यूनिसेफ़ की गुडविल एम्बेस्डर हैं. जी दुनियां की पीढित मानवता के बारे में सोचे उसे  सराहना चाहिये सच मानिये मुझे तो वाका बाला का ये रूप भा गया . और कुछ जानना चाहते हैं तो आईये इधर
यदि आपको शकीरा की कोई और अदा पसंद हो तो आप इधर घूम लीजिये

सोमवार, 23 अगस्त 2010

आभास जोशी का नया जीभ पलट एलबम अपर रोलर लोअर रोलर

आखिर आभास जोशी ने ही सम्हाली छोटे उस्ताद की कमान

गीत-संगीत के रियलिटी शो में टी आर पी की दौड़ में पीछे सरकते हुए स्टार प्लस ने आख़िरकार आभास को ही अंतिम रूप से छोटे उस्ताद की एकंरिंग के लिये बुलावा ही लिया. छोटे उस्ताद के मौज़ूदा सत्र में एक से बढ़कर एक उम्दा बाल गायकों की प्रतिभा के से परिचित न करा पाने के लिये स्टार –प्लस ने समीक्षा में पाया कि बिना प्रभावशाली सूत्रधार के यह संभव नहीं अंतत: आठ एपीसोड के बाद आभास को बुलाना ज़रूरी समझा . पहले ही एपीसोड में आभास ने टपोरी की भूमिका में दर्शक जुटाने शुरु कर दिये .



पोलिओ ग्रस्त बच्चों की मदद के लिये गत वर्ष जारी बावरे फ़क़ीरा प्रस्तुति के बाद सव्यसाची कला ग्रुप जबलपुर द्वारा बच्चों के लिये रुचिकर ”टंग-ट्विस्टर” (जीभ पलट) गीतों के एलबम की तैयारीयां शुरु कर दीं हैं. इस एलबम से अर्जित आय भी संस्था द्वारा ग्राम सोहड़ के नेत्रहीन बच्चे मंगल के लिये खर्च की जावेगी. वर्ष 2008 में आंगनवाड़ी भ्रमण के दौरान गम्भीर कुपोषण के शिक़ार मंगल का पोषण स्तर बढ़ा कर उसके जीवन को संवारने का संकल्प मैने लिया था जिसे पूरा करने आभास जोशी,संगीतकार श्रेयस जोशी ने सहमति दी है. एलबम के लिये संगीत संयोजना का कार्य प्रारम्भ किया जा चुका है. यह एलबम एक नामी कम्पनी द्वारा इंटरनेट पर जारी किया जाएगा.
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मंगलवार, 10 अगस्त 2010

शहरी बाबू के लिये

शहरी बाबू के लिये तब की माशूक़ा 


और अब की नाज़नीन 



और अपने शहरी बाबू के ये हाल हैं आप खु़द देखिये

रविवार, 8 अगस्त 2010

हमें तो लूट लिया

हुस्न वालों पर इस क़व्वाली में इल्ज़ाम  लगाने वालों की लम्बी फ़ेहरिश्त है कुछ नमूने आज़ यहां कुछेक नमूने यानी बानग़ी देखिये सुनिये
ये भी मज़ेदार है न :- 

कराओके में सुर मिलाना है तो हाज़िर है संगीत :-

नये दौर में यूं गाया :-

,मीत जी के खज़ाने में ये था  :-

सीमा पार की कसरत देखिये ज़नाब :-

रविवार, 1 अगस्त 2010

ललित भाई आपने मुझे मेरा पिटना याद दिला दिलाया..!!

रफ़ी साहब की याद में ललित भाई ने जो गीत लगाया है उसी गीत ने मुझे मेरे अतीत की ओर ढकेला उस अतीत को देखा तो मैं स्कूल के दसवें दर्ज़े का स्टूडेंट  शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गोसलपुर के दसवें दर्ज़े के क्लास रूम में दोपहर बाद प्राय: मास्साब बस से जबलपुर निकल जाते थे उस दिन यही हुआ.... रोजिन्ना  की तरह हम हुल्लड़ मचा रहे थे किंतु उस दिन खाली पीरियड में गाने का प्रोग्राम हुआ आखिरी का आधा घंटा था .... टीचर जी बस स्टैंड रवाना हो चुके थे सो हम लोग आपसी फ़रमाईशों के अनुसार  गाना डेस्क बजा बजा के गा रहे थे मेरी बारी आई तो मैने ये वाला गाया


गीत पूरा हुआ कोई ताली वाली न बज़ी कमरे मे सन्नाटा था मुझे लगा कोई क़यामत आई है देखा तो मेरे एन पीछे प्रिन्सीपल साहब खड़े थे जैसे ही सर घुमाते चटाक से एक झापड़ अपने गाल पर चिपका पाता हूं..............!
को एजूकेशन था लड़कियां भी थीं आस पास के गांव के लड़के भी थे सबके सामने हुए  इस अपमान से दिल भर  आया फ़फ़क़ के रो दिया ............?
पर पलट के कोई बात नहीं की दूसरे दिन एक टीचर से कहते सुना स्कूल में "प्रेम मोहब्बत के गाने इस पीढी़ का क्या होगा भगवान ?"
दूसरा मास्टर कह रहा था:- ”रेडियो ने बिगाड़ा से ससुरों को  बताओ साथ में लड़कियां भी सुन रहीं थीं ?”
Radio
हमारे भविष्य की चिंता करने वाले टीचर जो तीन बजे वाली बस से जबलपुर भागते थे उनका भागना भी उसी दिन से बंद हो गया मै खुश था मेरे तमाचे का असर उधर भी था.
पंद्रह बरस बाद सरकारी जीप से गांवों के भ्रमण करता हुआ मैं जिस स्कूल में पहुंचा वहां के खिचड़ी बालों वाले शिक्षक ने सर सर कह मेरा अभिवादन किया .... और कोई नहीं उन्हीं दो टीचर्स में से एक थे मैने  अफ़सरी का लबादा उतार झट उनके चरण स्पर्श किये... उनकी आंखों में जो देखा वो और कुछ नहीं आशीर्वाद की गंगा का जल ही तो था .
बातों बातों में उनने पूछा : आपके साहित्यिक काम के समाचार तो देख लेता हूं......... आज तुम्हारा गीत भी सुनना चाहता हूं थोड़ी ना नुकुर के बाद मैने ये गीत सुना ही दिया


मन की सूती जिज्ञासा को
काँटों पर मत रखना प्रियतम
मन अनुरागी जोगी  तेरा
हम-तुम में कैसी ये अनबन
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कितने  रुच रुच नेह निवाले
सोच सोच कर रखतीं हो !
एकाकी होती हो जब तुम
याद मेरी कर हंसती हो !
मत रोको अब प्रेम धार को
कह दो कब होगा मन संगम
मन की सूती जिज्ञासा को                                                         
काँटों पर मत रखना प्रियतम..!
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पीत-वसन -प्रीत भरा मन
पल-पल मुझसे मिलने आना  
कोई और निहारे मुझको
बिना लपट के वो जल जाना
प्रेम पथिक हम दौनों ही हैं 
प्रिय तुम ही अब  तोड़ो मन  संयम !
मन की सूती जिज्ञासा को
काँटों पर मत रखना प्रियतम..!

गुजरात का गरबा वैश्विक हो गया

  जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर गुजरात   के व्यापारियो...