रविवार, 30 मई 2010
तेरी पूजा के तरीके से बेख़बर हूं मैं न ही उपवास मुझसे हो पाया !
तूने दस्तक ज़रूर दी होगी..?
मै वो आवाज़ नहीं सुन पाया
कितनी आवाज़ें गिर्द मेरे हैं
तेरा एहसास नही हो पाया !
**************
हर तरफ़ शोर चीख चिल्लाहट
हरेक शख्स में है बेताबी
जितना भी जिसको मिला किस्मत से
वास्ते उसके वो है नाका़फ़ी ,
शोर गुल का यही तो इक कारन तेरा आभास नही हो पाया !
**************
फ़िर भी दरवाज़ा खोला है मैने
तेरे होने से गंध बिखरी थी.
मेरे महबूब आ मेरे घर में
हरेक चीज़ यहां है बिखरी सी !
तेरी पूजा के तरीके से बेख़बर हूं मैं न ही उपवास मुझसे हो पाया !
सोमवार, 10 मई 2010
हम तो तंतु कसे कसे से ठोकर से सरगम ही देंगे
शाम अधूरी मीत याद बिन
उसनींदे दिन मीत साथ बिन !
***********
हम तो तंतु कसे कसे से
ठोकर से सरगम ही देंगे
सर ढोऎंगें तपन पोटली
अपने तलतट छांह ही देंगें !
क्योंकर मन में अवगुंठन है
शाम सुहानी कहां प्रात बिन ?
***************मोहक मादक मदिरा भीनी
ओढ़ चुनरिया तापस लीन्हीं
मिलन यामिनी सपनन देखूं
तुम अनदेखे मैं अनचीन्हीं !
अब तो मन में अनुगुंजन है
सुबह सलोनी कहां रात बिन ?
सोमवार, 3 मई 2010
सदस्यता लें
संदेश (Atom)
गुजरात का गरबा वैश्विक हो गया
जबलपुर का गरबा फोटो अरविंद यादव जबलपुर जबलपुर का गरबा फोटो अरविंद यादव जबलपुर गुजरात के व्यापारियो...
-
तुम चुप क्यों हो कारण क्या है ? गुमसुम क्यों हो कारण क्या है ? जलते देख रहे हो तु...
-
पाकिस्तान में महिला अधिकारों को लेकर हम सब केवल इतना जानते हैं कि वहां महिलाओं को कोई खास अधिकार प्राप्त नहीं है। परंतु हिंदूकुश...
-
तूने दस्तक ज़रूर दी होगी..? मै वो आवाज़ नहीं सुन पाया कितनी आवाज़ें गिर्द मेरे हैं तेरा एहसास नही हो पाया ! ************** हर तरफ़ शोर ...