पिछले कई दिनों से सोच रहा हूं कि कहूं न कहूं पर आज़ सरे आम कहे देता हूं कि-पामेला तुमसे मुझे पहली नज़र में इश्क़ हो गया " सच कहने का हौसला जिसमें भी कह दे सच के बिना कोई भी व्यक्तित्व कैंचुए का व्यक्तित्व नज़र आता है. हम ने सच कह दिया बेधड़क कह दिया. भई हमारे इस चेहरे के पीछे छिपे धन कमाने के लोभ को देखो. हम अगर गलत हैं तो कहो. हमने अगर कुछ किया है उसे बुला के तो आपके सीने से धुंआ काहे निकला ? बताओ. पामेला बेचारी कित्ती मुसीबत में है देखो न लाखों डालर का कर्ज़ है हमने तो बस कुछ करोड़ रुपल्ली ही दिये हैं उसे. बेचारी महिला उसकी मदद हम नहीं करेंगे तो कौन करेगा.? अब बताओ भैया ? सच्चे दिल से हमको उनसे प्यार है देखो न लोग कह रहें हैं हमारे चैनल की टी०आर०पी० बढ़ गई झूट उससे ज़्यादा हमारे दिल की धड़कनें ज़्यादा बढ़ी हैं. . हमारी क्या जब उसने धकधक वाला गाना गाया था तब जानतें हैं हमारी उमर से चार गुनी उमर वाले रिटायर्ड दादाजी क्लब के सारे दादाजी चश्मा पौंछ पौंछ के उसे देख रहे थे . सारा देश उस पर मोहित है तो भैया हमारा इज़हार-ए-इश्क़ क्यों गुनाह है ? बताऒ देखिये मुझे ज़्यादा ज्ञान न बताएं अरे जब भी कोई काम करता हूं सवाल उठाते हो अरे इस बच्चे की तस्वीर क्यों दिखा रहे हो इस बच्चे के हमारे रीयलिटी शो क्या लेना देना. अरे हमारी रीयलिटी और इस रीयलिटी में फ़र्क़ है यह रीयलिटी देख के विश्व पर भारत का क्या इम्प्रेशन जाता है मालूम है हमारी रियलिटी से विश्व जानता है कि हम कितने वैभव सम्पन्न है .समझे चलो जाओ बत्ती जलाओ गाड़ी बढ़ाओ खाली-पीली हमारा टाईम खोटी न करो . अपनी दाल हमारी आधी रोटी में न भरो.
अब सुनिये असली धकधक
थोडा अपना ख्याल रखियेगा. , कंही कुछ उंच नीच ना हो जाय , उसकी याद में
जवाब देंहटाएंतारकेश्वर भैया मज़ेदार बात कही आपने
जवाब देंहटाएंदील थाम कर.........
जवाब देंहटाएं""हमारी उमर से चार गुनी उमर वाले रिटायर्ड दादाजी क्लब के सारे दादाजी चश्मा पौंछ पौंछ के उसे देख रहे थे""
जवाब देंहटाएंअरे उसने मुन्नी बदनाम वाला गाना भी सुनाया था.... तब दादाजी बड़े खुश हो रहे थे आंखे फाड़ फाड़ के .......
अंग्रेज़ी सम्झ नही आती थी लेकिन बे बाच करा करते थे पामेला के लिये
जवाब देंहटाएंहा हा धीरू भैया मज़ेदार
जवाब देंहटाएंमिश्रा जी सही कहा
जवाब देंहटाएंपर इधर हम आपको "दादाजियों वाली लिस्ट में" नहीं रख रहें है
हा हा हा
आपकी सूचना से पहले मैंने शाम ही पढ़ लिया। अफ़सोस, इस बार शीर्षक से कहीं अधिक खिंचाव उस पिक्चर का था, बच्ची की। मारक व्यंग्य। बधाई।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया शुक्ल जी
जवाब देंहटाएंअरे बाबा किधर से किधर ले गए बात चीत उफ़्फ़ सोचा क्या था ...?
जवाब देंहटाएंयह बिलकुल सही बात कही कि सबकी रियलिटी अलग अलग होती है । लेकिन यही तो रियलिटी है ।
जवाब देंहटाएंdalip arora ji
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