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शुक्रवार, 12 नवंबर 2010

अंतर्वेदना का चित्र गीत : उत्तमा दीक्षित की तूलिका लता जी मदन मोहन साहब के सुर

उत्तमा दीक्षित जी की तूलिका से उभरे चित्र को इस गीत के सन्दर्भ में देखिये माई  रे  मैं  कासे  कहूं ?फिल्म दस्तक के  इस गीत को लता  मंगेशकर  मदन  मोहन  ने गाया  है  ,  अगर वायलिन पे सुना जाए तो प्रभाकर  जोग साहब  का कमाल भी कम नहीं. आज़ जिस  भाव से इस चित्र को देखा तो तुरंत दस्तक के गीत का याद आना मेरे लिये रोमांचित करने वाला एहसास था. सुना हाँ खूब सुना . फिर क्या हुआ इस बात को आपसे शेयर न कर पाउंगा जानतें हैं क्यों ? आप को वो एहसास नहीं हो पाएगा कालजयी कला का आनंद आप भी उठाएं आपका अपना चिन्तन अपने भाव हैं  मेरा हस्तक्षेप जायज़ नहीं.

7 टिप्‍पणियां:

  1. अद्वितीय...अनुपम...अद्भुत...अलौकिक...आनन्द की अनुभूति...आभार

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  2. उत्तमा जी की तूलिका को स्वर देने का आपका यह अन्दाज निराला है

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  3. वाह...मिल गया...इस गीत को मैं कब से ढूंढ रहा था, पूरा सुना और डाउनलोड भी कर लिया। बहुत ही प्यारा गीत है, क्या अनोखी धुन बनाई है मदन मोहन साहब ने, सभी 12 सुरों का प्रयोग किया है।...दुर्लभ गीत है ये। मैं भी इस गीत को कभी कभी वायलिन पर बजाने की कोशिश करता हूं।
    ...आपको बहुत बहुत धन्यवाद।

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  4. बढ़िया प्रस्तुति..आनंद आ गया ...

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  5. film Rajendra Sigh Bedi ki thi dastak ek drishya dashkon baad bhi mere jehan men hai. Madan Mohan ki awaj men yah geet kamal ka hai.

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