प्रेम का सन्देश देता ब्लॉग

Wikipedia

खोज नतीजे

रविवार, 1 अगस्त 2010

ललित भाई आपने मुझे मेरा पिटना याद दिला दिलाया..!!

रफ़ी साहब की याद में ललित भाई ने जो गीत लगाया है उसी गीत ने मुझे मेरे अतीत की ओर ढकेला उस अतीत को देखा तो मैं स्कूल के दसवें दर्ज़े का स्टूडेंट  शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय गोसलपुर के दसवें दर्ज़े के क्लास रूम में दोपहर बाद प्राय: मास्साब बस से जबलपुर निकल जाते थे उस दिन यही हुआ.... रोजिन्ना  की तरह हम हुल्लड़ मचा रहे थे किंतु उस दिन खाली पीरियड में गाने का प्रोग्राम हुआ आखिरी का आधा घंटा था .... टीचर जी बस स्टैंड रवाना हो चुके थे सो हम लोग आपसी फ़रमाईशों के अनुसार  गाना डेस्क बजा बजा के गा रहे थे मेरी बारी आई तो मैने ये वाला गाया


गीत पूरा हुआ कोई ताली वाली न बज़ी कमरे मे सन्नाटा था मुझे लगा कोई क़यामत आई है देखा तो मेरे एन पीछे प्रिन्सीपल साहब खड़े थे जैसे ही सर घुमाते चटाक से एक झापड़ अपने गाल पर चिपका पाता हूं..............!
को एजूकेशन था लड़कियां भी थीं आस पास के गांव के लड़के भी थे सबके सामने हुए  इस अपमान से दिल भर  आया फ़फ़क़ के रो दिया ............?
पर पलट के कोई बात नहीं की दूसरे दिन एक टीचर से कहते सुना स्कूल में "प्रेम मोहब्बत के गाने इस पीढी़ का क्या होगा भगवान ?"
दूसरा मास्टर कह रहा था:- ”रेडियो ने बिगाड़ा से ससुरों को  बताओ साथ में लड़कियां भी सुन रहीं थीं ?”
Radio
हमारे भविष्य की चिंता करने वाले टीचर जो तीन बजे वाली बस से जबलपुर भागते थे उनका भागना भी उसी दिन से बंद हो गया मै खुश था मेरे तमाचे का असर उधर भी था.
पंद्रह बरस बाद सरकारी जीप से गांवों के भ्रमण करता हुआ मैं जिस स्कूल में पहुंचा वहां के खिचड़ी बालों वाले शिक्षक ने सर सर कह मेरा अभिवादन किया .... और कोई नहीं उन्हीं दो टीचर्स में से एक थे मैने  अफ़सरी का लबादा उतार झट उनके चरण स्पर्श किये... उनकी आंखों में जो देखा वो और कुछ नहीं आशीर्वाद की गंगा का जल ही तो था .
बातों बातों में उनने पूछा : आपके साहित्यिक काम के समाचार तो देख लेता हूं......... आज तुम्हारा गीत भी सुनना चाहता हूं थोड़ी ना नुकुर के बाद मैने ये गीत सुना ही दिया


मन की सूती जिज्ञासा को
काँटों पर मत रखना प्रियतम
मन अनुरागी जोगी  तेरा
हम-तुम में कैसी ये अनबन
*********************
कितने  रुच रुच नेह निवाले
सोच सोच कर रखतीं हो !
एकाकी होती हो जब तुम
याद मेरी कर हंसती हो !
मत रोको अब प्रेम धार को
कह दो कब होगा मन संगम
मन की सूती जिज्ञासा को                                                         
काँटों पर मत रखना प्रियतम..!
************************
पीत-वसन -प्रीत भरा मन
पल-पल मुझसे मिलने आना  
कोई और निहारे मुझको
बिना लपट के वो जल जाना
प्रेम पथिक हम दौनों ही हैं 
प्रिय तुम ही अब  तोड़ो मन  संयम !
मन की सूती जिज्ञासा को
काँटों पर मत रखना प्रियतम..!

18 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर ब्लॉग है, अपने नाम की ही तरह...इसे फ़ॉलो भी कर लेते हैं...

    जवाब देंहटाएं
  2. kya bat hai girish bhiya, aaj to aap cha gayen, bahut acchi lagi aapki rachna , badhai

    जवाब देंहटाएं
  3. मास्साब का लप्पड़ खाकर ही तो परम ज्ञान मिलता है, और वही सफ़लता की मंजिल है। जिस पर आप हैं।

    बहुत ही अच्छा संस्मरण

    और गजब कर दिये -
    मन की सूती जिज्ञासा को
    काँटों पर मत रखना प्रियतम..!

    जवाब देंहटाएं
  4. पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं।
    मतलब खुराफ़ातें स्कूल से ही जारी हैं।:)

    जवाब देंहटाएं
  5. गुरु हम तो इस गीत से स्कूल में पिटे अभी आपके ब्लाग के बारे में भाभीसाब को फ़ोन लगा के बताता हूं सौ फ़ीसदी आप पिटेंगे हा हा हा

    जवाब देंहटाएं
  6. pyar me anban to hogi hi ....bahut hi sunadr rachna sir ji ...

    जवाब देंहटाएं
  7. ललित जी तो गए ... लेने :-)

    अफ़सरी का लबादा उतार झट उनके चरण स्पर्श किये तो उनकी आंखों में आशीर्वाद की गंगा का जल मिला अब नए कानून के बाद कौन पीटेगा और कौन चरण छुएगा :-(

    वैसे भी बिगड़ना तो हर पीढ़ी का जनमसिद्ध अधिकार है :-)

    बी एस पाबला

    जवाब देंहटाएं
  8. पाबला जी सही फ़रमा रहे हैं. उज्जैन वाले प्रोफ़ेसर साहब की दशा तो सबने देखी है

    जवाब देंहटाएं
  9. आज तमाम दोस्तों के नाम पे लेगें जिनके साथ पीने का वादा था !

    जवाब देंहटाएं
  10. वाह! बहुत सुन्दर वाकया है, आप तो पिटे लेकिन हमें पढ़कर बहुत मजा आया !

    जवाब देंहटाएं
  11. बेहतरीन संस्मरण...यहाँ भी गा कर सुनाओ भाई..यहाँ तो झन्नाटेदार का भी डर नहीं. :)

    जवाब देंहटाएं
  12. दादा जी
    और भी कुछ याद दिलाऊँ क्या?:)

    जवाब देंहटाएं
  13. क्या आपने हिंदी ब्लॉग संकलन के नए अवतार हमारीवाणी पर अपना ब्लॉग पंजीकृत करा लिया है?

    इसके लिए आपको यहाँ चटका (click) लगा कर अपनी ID बनानी पड़ेगी, उसके उपरान्त प्रष्ट में सबसे ऊपर, बाएँ ओर लिखे विकल्प "लोगिन" पर चटका लगा कर अपनी ID और कूटशब्द (Password) भरना है. लोगिन होने के उपरान्त"मेरी प्रोफाइल" नमक कालम में अथवा प्रष्ट के एकदम नीचे दिए गए लिंक"मेरी प्रोफाइल" पर चटका (click) लगा कर अपने ब्लॉग का पता भरना है.

    हमारे सदस्य"मेरी प्रोफाइल" में जाकर अपनी फोटो भी अपलोड कर सकते हैं अथवा अगर आपके पास "वेब केमरा" है तो तुरंत खींच भी सकते हैं.

    http://hamarivani.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  14. मन की सूती जिज्ञासा को
    काँटों पर मत रखना प्रियतम..!
    वाह क्या बात है

    जवाब देंहटाएं
  15. अच्छा हुआ याद आ गया ... वर्ना तो अफसरी का लबादा बड़ा मोटा होता है ... अपन को भी बांस की संटियाँ याद आ गयीं ...

    जवाब देंहटाएं

टिप्पणियाँ कीजिए शायद सटीक लिख सकूं

गुजरात का गरबा वैश्विक हो गया

  जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर गुजरात   के व्यापारियो...