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शनिवार, 26 जून 2010

कुछ ऊंट ऊंचा कुछ पूंछ ऊंची ऊंट की

जीभ-पलट गीत गाने में जितने कठिन लिखने में लगे उतने  पढ़ने में नहीं  . पर एक बात तयशुदा है कि जब आप जीभ के लिए कठिनाई पैदा करने वाला ये गीत गाएंगें तो न तो आप न ही कोई जो सुन रहा होगा हँसे बिना रह न सकेगा ..
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             कुछ ऊंट ऊंचा कुछ पूंछ ऊंची ऊंट की
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ऊबड़-खाबड़ रास्ता , बूढ़ा  बक़रा  हांफता  !
चीकू की कापी ले बन्दर बैठा- डाल पे जांचता !
मम्मी पापा बाहर निकले, रुत आई तब छूट की 
कुछ ऊंट ऊंचा कुछ पूंछ ऊंची ऊंट की
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एक कहानी गोधा रानी मल्ला चोर खींचे डोर
पांव देख के रोए मोरनी , बादल देखे नाचे मोर
नाच मयूरी ले लाऊंगा.. सोलह जोड़ी बूट की
कुछ ऊंट ऊंचा कुछ पूंछ ऊंची ऊंट की
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सरपट गांव का रास्ता, बकरा कैसे खांसता ?
बन्दर का टूटा था चश्मा कैसे कापी जांचता ?
गोधा रानी कहां की रानी मल्ला चोर कैसा चोर
बनी दुलहनियां देख मोरनी, मस्ती में फ़िर नाचे मोर ..
पहले-पहल कही मेरी...... सारी बातें झूठ थीं
कुछ ऊंट ऊंचा कुछ पूंछ ऊंची ऊंट की
गिरीश बिल्लोरे “मुकुल”

16 टिप्‍पणियां:

  1. पूंछ भी ऊंची ,ऊंट भी ऊंचा
    हमने तो ऊट देखा ही नहीं
    लेकिन जब ये कविता बच्चे गायेंगे तो पूरा ऊट दिखाई देने लगेगा और बन्दर का चश्मा तो बच्चे खुद ही बना देंगे
    sundar कविता ,majedaar भी

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  2. वर्स्टाइल क्वि जो ठहरा हा हा शुक्रिया प्रीति जी

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  3. वाह , ये स्टाइल बहुत बहुत बढ़िया रहा ...बच्चे लोग बहुत आनंद लेंगे इसमें जब बड़ों को ही इतना मजा आ रहा है !
    अभी निकुंज को सुनता हूँ !!

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  4. निकुन्ज को मेरा असीम स्नेह कहिये

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  5. वाह बहुत बढिया .. बधाई और शुभकामनाएं !!

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  6. वाह गजब कर दिया,
    आपकी लेखनी में दम है
    इसलिए उ पी मे.........है

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  7. वाह ललित जी देखो तो पांच बार बोल के ”कुछ ऊंट ऊंचा कुछ पूंछ ऊंची ऊंट की ”

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  8. बाल गीतों की अनिवार्य शर्त होती है उनमे ऐसे शब्दो का प्रयोग जिनसे ध्वनि उपजती है । ध्वनिमूलक शब्दो की यह विशेषता होती है कि वे लय को सहारा देते है । और बच्चों के लिये यह गेय होना बहुत ज़रूरी है । इस गीत मे यह सब विशेष्तायें है इसलिये निश्चित ही यह गीत बच्चों को बहुत पसनद आयेगा । और निश्चित ही इसमे सन्देश तो है ही जो कवि का मूल उद्देशय होता है ।

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  9. तो हो जाये...............”कुछ ऊंट ऊंचा कुछ पूंछ ऊंची ऊंट की ” .........कल से यही चल रह है.............

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  10. आपके बिना आदेश के पांच बार पड़ा......मज़ा आया.....कच्चा-पापड़-पक्का पापड़ जैसा उल्टा-पुल्टा हो जाता है....बेहतरीन रचना....

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  11. bahut hi muskil hai sir ...ek baar bhi theek se nahi hota to 5 baar kahan se honge ...
    is geet se message bhi bahut hi umda diya hai aapne ........
    kabil e tareef ..

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  12. लगता बचपन लोट आएगा
    बसंत मिश्रा

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