शाम अधूरी मीत याद बिन
उसनींदे दिन मीत साथ बिन !
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हम तो तंतु कसे कसे से
ठोकर से सरगम ही देंगे
सर ढोऎंगें तपन पोटली
अपने तलतट छांह ही देंगें !
क्योंकर मन में अवगुंठन है
शाम सुहानी कहां प्रात बिन ?
***************मोहक मादक मदिरा भीनी
ओढ़ चुनरिया तापस लीन्हीं
मिलन यामिनी सपनन देखूं
तुम अनदेखे मैं अनचीन्हीं !
अब तो मन में अनुगुंजन है
सुबह सलोनी कहां रात बिन ?
उम्दा प्रस्तुती ,बिंदास सोच /
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार। काफी दिनों के बाद अपने मन को शांत करने वाले शब्द पढ़े। अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंwaah lajawaab ise kehte hain hindi kavita maan gaye sir...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा ..गाने का मन कर रहा है पर अभी रिकार्ड नही कर पा रही हूँ.......फ़िर कभी सही.........
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लगी ।
जवाब देंहटाएंआप सभी का आभारी हूं
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर भाव हैं, मन को भा गये।
जवाब देंहटाएं--------
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