प्रेम का सन्देश देता ब्लॉग

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सोमवार, 30 नवंबर 2009

मन अनुरागी जोगी तेरा हम-तुम में कैसी ये अनबन


मन की सूती जिज्ञासा को
काँटों पर मत रखना प्रियतम
मन अनुरागी जोगी  तेरा
हम-तुम में कैसी ये अनबन
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कितने  रुच रुच नेह निवाले
सोच सोच कर रखतीं हो !
एकाकी होती हो जब तुम
याद मेरी कर हंसती हो !
मत रोको अब प्रेम धार को
कह दो कब होगा मन संगम
मन की सूती जिज्ञासा को                                                         
काँटों पर मत रखना प्रियतम..!
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पीत-वसन -प्रीत भरा मन
पल-पल मुझसे मिलने आना  
कोई और निहारे मुझको
बिना लपट के वो जल जाना
प्रेम पथिक हम दौनों ही हैं 
प्रिय तुम ही अब  तोड़ो मन  संयम !
मन की सूती जिज्ञासा को
काँटों पर मत रखना प्रियतम..!
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चित्र साभार:स्वप्न मंजूषा शैल व्हावा http://mishraarvind.blogspot.com
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सोमवार, 23 नवंबर 2009

प्रेम पत्र के साथ गुज़ारा कब तक करूँ कहो तुम प्रियतम


प्रथम प्रीत का प्रेमपत्र ही
सिहरन धड़कन का कारन अब
नयनगंग की  इन  धारों को
 लौट के देखा तुमने है कब
प्रेम पत्र के साथ गुज़ारा
कब तक करूँ कहो तुम प्रियतम
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हुई हुलासी थी तुम जब तुमने
प्रेमपंथ की डोर सम्हाली
कैसे लुक-छिप के मिलना है
तुमने ही थी राह निकाली
जब-तब अंगुली उठी किसी की
थी तुमने ही बात सम्हाली !
याद करो झूठी बातों पर
हम-तुम बीच हुई थी अनबन...!
प्रेम पत्र के साथ गुज़ारा
कब तक करूँ कहो तुम प्रियतम
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 आज विरह का एकतारा ले
स्मृतियों के गलियारों से
तुम्हें खोजने निकल पडा हूँ
अमराई में कचनारों  में
जब तक नहीं मिलोगे प्रियतुम
सफ़र रहेगा अंगारों में
इस यायावर जीवन
कोई तो देगा मन-संयम
प्रेम पत्र के साथ गुज़ारा
कब तक करूँ कहो तुम प्रियतम

रविवार, 22 नवंबर 2009

प्यार की ख़ूबसूरत रिवायतों से रूबरू कराते ये गीत


फिर छिड़ी रात बात फूलों की एक मधुर मदिर तमन्ना ! इश्क का ये रूप देखिये प्यार की ख़ूबसूरत रिवायतों से रूबरू कराते  ये गीत मुझे अपने पहले प्यार की और खीचता उस दौर तक ले गया जब मेरी प्रिया ने देखे थे कुछ सपने और मैं उनको देखते ही गुनगुनाता  थातब प्रिया ने देखे थे सपने और कहा था  करोगे  याद  तो ...हर बात याद आएगी  आज सच हुई तुम्हारी बातें प्रिया . सच तुमको खोने के बात तुम्हारी तलाश में जब

रुक जातें हैं   कदम   तुम्हारा कहीं आस पास होने का  एहसास होते ही अपने आप माँगने लगता कुछ सामान  बिन तुम्हारे मुझसे अब ये गीत ...गाया भी नहीं जाता
कहाँ हो प्रिया तुम अब भी लौट आओ मेरे उदास  बेबस दिल की   =>तमन्नाओं के मचल जाने के लिए

गुरुवार, 19 नवंबर 2009

मेलोडी ऑफ़ लव

                                                                  हिन्दी  फिल्मसंगीत और प्रेम में गहरा अंतर्संबंध माया नगरी के चितेरों ने उन दिनों सदाबहार गीतों से जोड़ लिया था सारे देश को.   सच्चाई  छुप  नहीं  सकती,ओ  मेरी  शर्मीली ,अजनबी  तुम  जाने  पहचाने ,ये  जो  मोहब्बत  है ,माना  जनाब  ने  पुकारा  नहीं
    इन गीतों को सुन कर आपके सारे तनाव दूर हो जाएंगें यकीनन   किशोर  दा की आवाज़ का कोई विकल्प दूसरा .......? आज के दौर में कोई नहीं . उस दौर की इस आवाज़ की कशिश से तो आप परिचित ही है ओह  रे  ताल  मिले  नदी  के  जल  में सुनके तो आप मस्त हो ही जाएंगें . अरे जी लता जी को मैं क्यों भूलूं इस गीत को सुन के उनकी याद में कोरें भीग गईं आप भी सुनिए   आजा  पिया  तोहे  प्यार  दूं  और  हाँ  उनकी याद में जिनके लिए गुनगुनाया करता था मैं ये गीत "कितना  प्यारा  वादा  है  "कभी क्वाबों में सोचता कि  मेरे  सपनों  कि  रानी कब आयेगी  जी हाँ तब जब उनके बिना ज़िंदगी काटनी पडी तो जब भी पहली प्रीत याद आती है यही गाने गुनगुनाने को मन करता है:-"दिल  जो  न  कह  सका " तुम भी तो यही कुछ गुनगुनाया करतीं थीं है न कुछ यूं दिल  जो  न  कह  सका तय तो  " दूर निकल चलना "
फिर क्यों रुक गए थे तुम्हारे कदम शायद हम तुम हताश थे अपनी अपनी प्रतिबद्धताओं के निर्वहन के लिए बंधे अब उस दौर के गीत गुम  हुए इस शोर गुल में मेरा नीला  आसमान  सो  गया सच अब तो बस ख़्वाब  में कभी ये चित्र चलतें हैं ये   कहाँ  आ  गए  हम ?
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साभार:-http://www.in.com/ 
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गीत सुनिए जानिये हाले दिल


 गुलाम  अली साहब  और  जगजीत  सिंह साहब के सुरों में प्रेमगीत आपको इस लिए पसंद है की आपके दिल की ही  बात है. जो सुरों से सजी-धजी  फिर अपने घर यानी आपके दिल में वापस आती है.  आज मेरे दिल ने चाहा और जी भर सुना झूम उठा माशूका के चौदहवीं के सरीखे चाँद से चेहरे को याद कर . किसी ने सही ही कहा है  हर दिल जो प्यार करेगा वो गाना गाएगा किन्तु  जुस्तजू  जिसकी  थी उसे न पाकर हमारी क्या दशा  होगी आप क्या जानें .
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आज महफूज़ भाई का ये  ब्लॉग देखिये ज़रूर बेहद भावनात्मक आलेख है,उधर अपने  भाई संजय तिवारी को एक रहस्यमयी चिट्ठी मिली आप ज़रूर देखिये. रहा सवाल चर्चा की सो वो इर्द गिर्द से शुरू होकर इर्द गिर्द  पे ही ख़त्म होती है.सुकुल जी चाहे जो कहें  इग्नोर शब्द   को जीना भी एक कला है ...  
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साभार :-यू-ट्यूब,

बुधवार, 18 नवंबर 2009

आज तुमसे न मिल पाना तुम्हारे होने को परिभाषित कर गया

आज तुमसे न मिल पाना
तुम्हारे होने को परिभाषित कर गया
और तुम भी बेचैन तो होगे ही
मुझे मालूम हैं अब-तब
किसी न किसी बहाने मुझे याद कर रहे होगे
तब मुझे हिचकियाँ नहीं आयी बस
निश्चेत सी मेरी देह
रोम-रोम बसे तुम्हारे प्यार से
सराबोर हो रही थी.......!
सच तुम्हारी प्रीत एक दिव्य अनुभूति है...
जो कल भी अकूती थी आज भी अकूती है
जिस्मानी ज़रूरतों से अछूती है !
प्रियतम
यही है सच्चे प्रेम का अनुभव
चलो एक बार फिर हम कुछ दूरियां बनाएं
प्रेम में सच्चाई की लों  जगाएं ...
वही लों दुनिया के सामने ला देगी
"हमारी -तुम्हारी -सच्ची-प्रीत कथा   "
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जबलपुर ब्रिगेड
मुकुल'स ब्लॉग,
इश्क-प्रीत-लव
मिसफिट
बावरे-फकीरा

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शनिवार, 14 नवंबर 2009

बस यही है प्रेम तपस्या तापसी


तुम जो परिधि लांघना चाह के रुक जाती हो
      अन बोले सवालों के  जवाबों की प्रतीक्षिता सी
      तुम्हारा  मन जब तब रोकता मुझसे इन्हीं अनकहे सवालों
      के ज़वाब के लिए
     तुम बहाने से बात करतीं
    स्वपन-प्रिया आओ एक सच से मिला दूं तुमको
    वो नरमदा है न
    उसके दो किनारे से हम तुम कभी न मिल सकेंगें
   बस यही है प्रेम तपस्या तापसी
  इस प्रेम को देह न जोड़ सकूंगा...
  कोई नाम देकर तुमसे रिश्ता न जोड़ सकूंगा
  इस बेनामी रिश्ते के सहारे
चलो एक बार फिर से अदेह सवालों को
जप्त करें हम तुम !



गुरुवार, 12 नवंबर 2009

तनेज़ा जी क्या करूं इस नोटिस का ?



देखिये  यहां  भाई राजीव जी की घर तोडू कारगुजारी की वज़ह से मेरी दाल पतली है .दो दिन से भूखा प्यासा  पत्नीव्रता (अवसर न मिलने की वज़ह से )  पुरुष दर दर की ठोकर खा रहा हूं. घटना देर रात 09/11 /09  नौ   बजके 9 मिनिट 9 सेकंड की है. देर रात सरकारी काम काज से फारिग होता मेरा शरीर घर में घुसा ही था कि आदतन मैंने मेल चैक की गरज से नेट ऑन किया और एकाध ब्लाग देखने की गरज से सबसे पहले वादे के मुताबिक राजीव जी के ब्लॉग पे पहुंच गया. अपना फोटो देख के दिल में क्विंटलों लड्डू फूटने लगे. 

बस फिर क्या था कि हमारी पीछे खड़ी एक अदद सतफेरी- बीवी श्रीमती  बिल्लोरे ने हमारी ख़बर लेनी शुरू कर दी . बोलीं:-"ये कल मुहीं कौन है.....?"
ख़ूबसूरत हसीन तारिका  का अपमान मुझे खला सो यकबयक मुंह से निकल पडा-"कलमुहीं...? अरे देखिये कितनी ख़ूबसूरत है ! आपसे..भी.....  !"
                                                            बस फिर क्या था हमारी श्रीमती जी ने हमारी वो गत बनाई कि हम लुटे पिटे जमानत जब्त कराए नेता से इधर उधर डोल रहे हैं.आपके सामने भाई राजीव तनेजा जी की वज़ह से हमको  जो दर्द की गठरी मिली है उसकी गांठें इस ब्लॉग पर खोल रहे हैं . मेरे  ब्लॉगर बंधुओ पिट जाए पति उसकी  ज़्यादा पत्नी दु:खी न होगी, पडोसन रूठ जाए बीवी को कोई कष्ट नहीं होगा, कोई औरत कितनी भी सुन्दर साडी पहन ले किसी भद्र पत्नी के मन में  कोई भी विचार न आएगा....किन्तु यदि रूठी पडोसन या पूर्व वर्णित साडी की कोई तारीफ़ करे अथवा  किसी दूसरी नारी की तारीफ हो तो कोई स्त्री कैसे और कब तक सहेगी. 
कल ही की बात है  इस  तस्वीर को  ध्यान से देखिये जी मुझे भा गई तो बस एक अदद गीत लिख कर इसी ब्लॉग पर छाप दिया था किन्तु अपनी पसंद वाली इस माडल को देख श्रीमती बिल्लोरे ने कहा था-'सुनते हो इसकी साडी उतनी सुन्दर नहीं जितनी मुझे पीहर से मिली थी .... पर तुम ऐसी ही दिला दो न.!'इस माडल का फोटो मेरी कविता के साथ  होना  मुझे बेहद महँगा पडा मित्रों इस घटना के ठीक दूसरे दिन  हमारी दुर्गति भाई राजीव जी की वज़ह से हुई .....! गत्यात्मक ज्योतिष वाली दीदी  ने बताया ही था कि ये दिन धनु राशि पे भारी पड़ेंगे सो अपने राम के साथ जो हो रहा है भगवान वो किसी भी अपने मित्र ब्लॉगर के साथ न हो हो तो उन ब्लागर्स के साथ हो जिनकी आदत है मुफ्त में -बिना टिप्पणी किये किसी का ब्लॉग चोरी चोरी बांच लेते हैं.. भाई अपने राम ने किसी का भी ब्लॉग के साथ  इत्ता दुर्व्यवहार नहीं किया. पर भाग्य चक्र है कि अपने राम को घरेलू हिंसा कानून के तहत एक नोटिस मिला बवालसे पूछा कि भाई मेरी जिन्दगी में अब कैसे पुराने दिन लौटेंगे भई साहब तुंरत बोले "बड़े भाई आपका मामला आप निबटाओ अपन तो इस घटना से सीखे कि बीवी के सामने ब्लागिंग का ज्ञान बघारना आफत को इनविटेशन देना है."
जबलपुर-ब्रिगेड के ब्रिगेडिअर्स ने मुझे  कितना साथ दिया दिया आइये देखें 
  • विजय  तिवारी  "किसलय"
  • साले साहब कहा था न कि लिमिट में रहो तनेजा जी किसी दिन पिटवा के छोडेंगे अब अपने तुम भोगो !
  • दिव्य नर्मदा
  • भई मुकुल जी नवगीत की मौज में डूब जाइए 
  • उड़न  तश्तरी 
  • ठीक है, इग्नोर करो ! सब ठीक हो जाएगा 
  • लाल और बवाल (जुगलबन्दी)
  • अभी आपकी दशा पर मर्सिया लिखे देतें हैं...
  • दीपक  'मशाल'
  • ऐसी मशालें भारत की हर नारी के हाथ हो तो तय है देश के सारे पति दुनिया के सबसे आदर्श पति का दर्जा पाएंगे 
  • शरद कोकास
  • भई,मुकुल आप इस मसले को तब तक गर्म रखिये जब तक मैं अपनी जनकपुरी नहीं आ जाता सूना है शरद जी अगले साल मार्च-अप्रेल में आ रहे हैं जबलपुर .मेरे मित्र छोटे भाई  प्रमेन्‍द्र प्रताप सिंह जी बोले "भैया सीता मैया को लंका से वापस ला  सकता है ये हनुमान किन्तु उनसे झगडा मोल नहीं ले सकता जय श्री राम !! "
  • ताऊ  को जब हमारी दाम्पत्य जीवन की इस घटना का पता चला तो उनने कहा "सब अपना फटा सिल राए हैं तन्ने भी सिल "


बुधवार, 4 नवंबर 2009

सन्मुख प्रतिबंधों के कब तलक झुकूं कहो

 
एक गीत प्रीत का गुन गुना रहा है मन
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थी  चपल हुई सरल , प्रेम राग है यही
नयनों ने कह डाली बातें सब अनकही
नेह का निवाला लिए दौड़ती फिरूं मैं क्यों
पीहर के संयम को आजमा रहा है मन !
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भोर की प्रतीक्षिता,कब तलक रुकूं कहो
सन्मुख प्रतिबंधों के कब तलक झुकूं कहो
बंधन-प्रतिबंधन सब मुझ पे ही लागू क्यों
मुक्त कण्ठ गाने दो जो गुनगुना रहा है मन
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मैं बैठीं हूं कब से प्रीत के निवाले ले
मन में लेके उलझन, हिवडे में छाले ले
मादक है प्रीत नींद क्योंकर मन जाग उठे
मत जगाओ सोने दो कसमसा रहा है मन
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छवि :वेब दुनिया से साभार

गुजरात का गरबा वैश्विक हो गया

  जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर गुजरात   के व्यापारियो...