प्रेम का सन्देश देता ब्लॉग

Wikipedia

खोज नतीजे

शनिवार, 15 अगस्त 2009

मागों तो दिल और जाँ सब कुछ तुमको दे दूंगीं


वो दूर से देख मुस्कुराती शोख चंचल नयनो वाली सुकन्या मुझे भा गई ऊपर की जितनी भी तारिकाएँ हैं उनका हुस्न फीका पड़ गया उसके सामने।
मैंने पूछा - मुझे ,कुछ देर का वक्त मिलेगा
क्यों नहीं ! ज़रूर मिलेगा ।
उत्तर में थी मादक खनक ...एक-एक काफी का आफ़र उसमें भी सहज स्वीकृति मैंने फ़िर कहा -आज मेरी छुट्टी है जबलपुर के पास भेडाघाट है चलो घूम आते हैं उसमें भी सहमत लगा आज लाटरी लग गई वीरानी जीवन बगिया में प्रेमांकुर फूट पड़ा .... सोचा आज पहले दिन इतनी समझदार ओर मुझे सहज स्वीकारने वाली अनुगामिनि मिल गई अब जीवन का रास्ता सहज़ ही कट जाएगा।
बातों ही बातों में मैंने कहा: तुम मुझे कुछ देने का वादा कर सकोगी ?
वादा क्या दे दूंगीं जो कहोगे
दिल,
हां ज़रूर
मोहब्बत
ऑफ़ कोर्स
वफ़ा
क्यों नहीं ?
और कभी जब मुझे वक्त की ज़रूरत हो तो
ज़नाब ये सब कुछ अभी के अभी या फ़िर कभी ?
सोच के बताता हूँ कुछ दिन बाद कह दूंगा
##############################################################
घर में माँ के ज़रिये पापा तक ख़बर की मुझे ".......'' से प्यार हो गया है । अब चाहता हूँ कि मैं शादी भी उसी से करुँ ! घर से इजाज़त मिलते ही मैंने फोन डायल किया....98........... लेटेस्ट रूमानी गीत न होकर "एक मीरा का भजन हे री मैं तो प्रेम दीवानी मेरा....''सुन कर लगा आग उधर भी तेज़ है इश्क की जैसी इधर धधक रही है ।
बातों ही बातों में मैंने उससे वो सब दिल,मोहब्बत, वफ़ा और वक्त की मांग कीउसने कहा शाम को तुम्हारे घर रहीं हूँये सब साथ ले आउंगी
शाम को पापा,माँ,दीदी अपनी होने वाली बहू का इंतज़ार कर रहे थे। मेरे मन में भी चाकलेट के रूमानी विज्ञापन वाले प्यार का जायका ज़ोर मार रहा था। एक खूबसूरत नाज़नीन का घर में आना मेरे लिए दिल,मोहब्बत, वफ़ा और वक्त साथ लाना मेरी उपलब्धि थी ।
सभी सभी उससे बारी बारी बात कर रहे थे अन्त में मुझे मौका मिला . मैने पूछा "वो सब जो मैने कहा था "
"हां लाई हूं न"
सुनहरी पर्स खोल कर उसने मेरे हाथों रख दीं - दिल,मोहब्बत,वफ़ा और वक्त की सीडीयां और पूछने लगी : पुरानी फ़िल्मों के शौकीन लगतें हैं आप . ?
"हां"
अब मुझे फ़िल्म ज़हर और ज़ख्म की सी डी ज़रूर ला देना .
ज़रूर ला दूंगी.... पर एक हफ़्ते बाद कल मेरी एन्गेज़्मेंट है. एन्गेज़्मेंट के बाद हम दौनो हफ़्ते भर साथ रहेंगे एक दूसरे को समझ तो लें .

वंदे मातरम






शुक्रवार, 7 अगस्त 2009

जाग विरहनी प्रियतम आए



देह राग नवताल सुहानी !
मानस चिंतन औघड़ धानी !!
भ्रम इतना मन समझ न पाए !
अन्तस-जोगी टेर लगाए
जाग विरहनी प्रियतम आए !!

मन आगत की करे प्रतीक्षा !
तन आहत क्यों करे समीक्षा !!
उलझे तन्तु सुलझ न पाए !
मन का पाखी नीर बहाए !!
जाग विरहनी प्रियतम आए !!


इक मन मोहे ज़मीं के तारे
छब तोरे नूर की एक निहारे !
प्रियतम पथ की बावरी मैं तो
भोर-निशा कछु समझ न आए !!
जाग विरहनी प्रियतम आए !!

गुरुवार, 6 अगस्त 2009

भेज दो लिख कर ही प्रेम संदेश


तुम जो रूठ जाती हो मुझसे
डेरों शिकायतों के पुलिंदे खोल देतीं हो
हाँ तब मुझे यकीन हो जाता है तुम सिर्फ़ मेरी प्रिया हो
तुम्हारा अपना चिंतन मुझमें क्या खोज रहा है
अनजान हूँ
जब तब की तुम्हारी उग्रता
अक्सर मुझे संकेत देती है
मैं शायद तुम्हें कुछ पलों के लिए बिसर गया
प्रिया
इस रूठी
भुनभुनाई
आंसू बहाती

तुम जब मेरी आर्त-ध्वनियाँ सुनती हो तब
तुम्हारा मेरे पास आ सहज हो बैठना
मुझे रास आता है
अब खुल के कह दो की तुम ही मुझे प्रीत रंग
से भिगो देने वाली हो
ये बार बार का रूठना
सुकोमल मन को घायल करता है
मुझे आता है पहल करना
प्रीत का अनुनाद मन के विस्तृत आकाश में भरना
परन्तु प्रिया अनुशासन मेरे स्वरों को रोकता है
पहल तुम्हें ही करनी है
भेजना है प्रेम का प्रथम संकेत
सच है न कोई भी पुरूष सर्वप्रथम कभी नहीं खोलता मन के भेद
भेज दो लिख कर ही
प्रेम संदेश

मंगलवार, 4 अगस्त 2009

चर्चा का नया रंग

चर्चा में ब्लागर्स का भाई विवेक ने आज जो स्केच बनायाबेशक उनकी आदमी को बांचने के ज्ञान का बेजोड़ नमूना है। ब्लागर्स के बारे में जिस सधे तरीके से कहा हम तो कायल हो गए । अभी अभी बवाल से हुई चर्चा के मुताबिक विवेक की अंतरजाल पर एक साधा हस्ताक्षर है !
मुझे भी इत्तिफाक है उनसे
ईश्वर से विनम्र याचना है उनकी लेखनी धारदार हो असर दार हो साथ ही उनकी पुरानी प्रेमिकाएं कल रक्षाबंधन के अवसर पर कोई चमकीली वस्तु सहित उन पर आक्रमण न कर पाए .

गुजरात का गरबा वैश्विक हो गया

  जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर जबलपुर   का   गरबा   फोटो   अरविंद   यादव   जबलपुर गुजरात   के व्यापारियो...